Saturday, July 24, 2021

मालवी कविता- मोबाइल को डबल्यो

 शीर्षक - मोबाइल को डबल्यो

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मोबाइल का डब्लया ने ।
असी कुच्मात मचई ।।
     (१)
खाणो छुट्यों पीणो छुट्यों ,
वर्जिस छूटी गई ।
बालक हुण की पढ़ई छूटी, 
आंखा फूटी गई।।
       (२)
छोराहुण दीवाना हुई ग्या, 
नौकरी छूटी गई।
बयरा हुण खे चस्को लाग्यो, 
रोटी बली गई।।
         (३)
डोकराहुण बी कम नी पड़े,
रोज स्टेटस अपडेट करें ।
डीपी ना में फोटू जड़ें,
छौरी हुण खे रिक्वेस्ट भेजे,
पण वी डोकरी निकली गई।।
       (४)
छौरी‌हुण भी लागी रे,
ढूंढे इपे सैल्यां,
मोबाइल  में डूब्या सगला,
हुई ग्या नैठूज गैल्या ।
दनभर चटक चाल्या करें,
फुर्सत में हे भई ।।
        (५)
भोली बेन की बात मानो,
छोड़ो इको चस्को ।
टेम टेम पे काम में लो,
यो संचार को साधन अच्छो ।।
अब्बी‌ भी नी समल्या,
तो पतन होयगो पक्को।
स्वास्थ्य गयो ने नैतिकता भी गई।।

मोबाइल का डब्लया ने ।
असी कुच्मात मचई ।।

     हेमलता शर्मा 'भोली बेन'
     राजेन्द्र नगर इंदौर

Thursday, July 22, 2021

तीसरी लहर को रोकने के उपाय

    तीसरी लहर को रोकने हेतु कारगर उपाय हमारे-तुम्हारे द्वारा :-

    देश कोविड-19 जैसी महामारी के दौर से विगत मार्च 2020 से ही गुजर रहा है । इसके रूप को विकराल बनाने में जाने-अनजाने हम सभी माध्यम बने हैं । दूसरी लहर से सैकड़ों मोतें होना इसका प्रमाण है ।  अब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है जिसे आप और हम मिलकर ही रोक सकते हैं ।‌ अब प्रश्न यह है कि इसे रोकने हेतु क्या कारगर उपाय होने चाहिए, ताकि इसकी भयावता को कम किया जा सके ।
           मेरे विचार से तीसरी लहर को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं कारगर उपाय है वैक्सीनेशन एवं मास्क ।  हम अपनी संपूर्ण आबादी का टीकाकरण करके तीसरी लहर को रोक सकते हैं, क्योंकि सर्वेक्षण में यह बात साबित हो चुकी है कि वैक्सीनेटेड  लोगों ने मात्र 5 प्रतिशत ही संक्रमित हुए हैं और संक्रमण के पश्चात भी उनमें गंभीर लक्षण देखें नहीं गए हैं ।  अतः वैक्सीनेशन एक कारगर उपाय है, किंतु वैक्सीनेशन सेंटरों पर वैक्सीन की अनुपलब्धता एक बड़ा प्रश्न खड़ा करती है । इस दिशा में सकारात्मक प्रयास आवश्यक है ।  साथ ही लोगों को वैक्सीन लगवाने हेतु जागरुक करना भी एक बड़ी चुनौती है । हमारा दायित्व है कि हम अपने आसपास के क्षेत्र में रह रहे लोगों को वैक्सीनेशन हेतु जागरुक करने का प्रयास करें ।
           इसके अतिरिक्त हमें स्वयं सार्वजनिक स्थलों पर मास्क का उपयोग करना चाहिए और अपने संपर्क के दायरे में आने वालों को भी इसके लिए समझाइश देना चाहिए, क्योंकि लाकडाउन लगभग खुल चुका है ऐसे में जगह-जगह भीड़  एकत्र होना स्वाभाविक है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है तो मास्क ही आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकता है ।
           वैश्विक स्तर पर बात करें तो ब्रिटेन एवं अमेरिका जैसे देशों के साथ हमारे देश के भी कतिपय राज्यों में कोरोना के कैसेस अप्रत्याशित रुप से बढ़े हैं जो तीसरी लहर के पहुंचने का संकेत दे रहे हैं । ऐसे में हम सबका यह दायित्व हो जाता है कि तीसरी लहर के दुष्प्रभाव से बचने हेतु कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें और यह अति आवश्यक भी है ।
           स्वरचित
         हेमलता शर्मा 'भोली बेन'
             राजेंद्र नगर, इंदौर मध्यप्रदेश             

 

Wednesday, July 21, 2021

शीर्षक-- घबरायो मन                                                                    



अईं कोरोना को केहर,

वई़ बरसात से बेहाल सेहर,

सुनसान सड़कां ने यो मंज़र ,

मन के घबरय ग्या ।


घरहोण में केद मनख शरीर, 

पांवहोण में कर्फ्यू की जंजीर,

कोरोना का ई बदल्या तेवर, 

मन के घबरय ग्या ।


रूक्या-सा 'विकास' का चक्का,

मन में जीत का भाव पक्का, 

विरोध का वी तीखा स्वर ,

मन के घबरय ग्या  ।


ग़रीबहोण पे दुख को सायो,

कोरोना को मातम छायो,

कफ़न वास्ते तरसता शव,

मन के घबरय ग्या ।


थम्यो-थम्यो-सो यो संसार,

लाशहोण को बढ़तो अंबार,

पेचाण खोता हुआ रिश्ता,

मन के घबरय ग्या  ।


         स्वरचित

      हेमलता शर्मा

      'भोली बेन'

राजेन्द्र नगर, इंदौर

          मध्यप्रदेश

वर्तमान परिदृश्य में माता सीता और आज की नारी

सीता जी एक सनातन भारतीय नारी का प्रतिनिधित्व करती हैं । सीताजी का चरित्र एक ऐसी स्त्री का परिचायक है जो एक आदर्श पुत्री, आदर्श पत्नी,आदर्श बहू एवं आदर्श माता की भूमिका का निर्वहन करती हैं ।
          वर्तमान परिस्थितियां चाहे पुरातन स्थितियों से भिन्न हो लेकिन आज भी नारी को इन विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाहन करना होता है । प्राचीन समय में नारी आत्मनिर्भर नहीं होती थी और अपनी आवश्यकताओं के लिए परिवार पर निर्भर होती थी जबकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आज की नारी आत्मनिर्भर होने के साथ साथ घर परिवार एवं विभिन्न आर्थिक सामाजिक राजनीतिक पदों पर विराजित होकर बहुआयामी भूमिका का निर्वहन कर रही है।
          वर्तमान परिस्थितियों में नारी भी यदि सीता जैसे आदर्श उपस्थित करती है तो निश्चय ही वह पिता, पति और बच्चों के साथ ही परिवार और समाज की भी चहेती होती है किंतु इस प्रकार का उत्तरदायित्व एवं भूमिका का निर्वहन वह तभी कर सकती है जब उसे सीता माता की तरह बचपन से वैसे ही परवरिश वैसा ही आदर सम्मान प्राप्त हो।
          वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम नारी को विभिन्न कठिनाइयों से जूझते हुए देखते हैं । वर्तमान समानता के युग में भी नारी को पुरुष प्रधान सामाजिक मानसिकता का शिकार होना पड़ता है और कई अवसरों पर उसे खामियाजा भी भुगतना पड़ता है, लेकिन इसका प्रतिशत भी बहुत अधिक नहीं है।
           वर्तमान परिदृश्य में यदि हम नारी से सीता बनने की उम्मीद रखते हैं तो निश्चय ही उसे उतना ही आदर सम्मान और पहचान दिए जाने की आवश्यकता है और इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सीता माता जैसा आदर्श चरित्र और व्यक्तित्व की स्वामिनी प्रत्येक नारी बन्ना चाहती है लेकिन उनको मिले कष्टों के कारण कहीं ना कहीं नारी के मन में रोष भी उत्पन्न होता है और वह बागी हो जाती है जिसका सामना एस पुरुष प्रधान समाज को करना पड़ता है।
         निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नारी आज पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर हर मोर्चे पर डटी हुई है और वहां आत्मनिर्भर है । आज स्त्री उनका काश में एक स्वच्छंद पंछी की भांति विचारणा चाहती हैं लेकिन उड़ती हुई पतंग तब तक ही आकाश में सफलता पूर्वक उड़ान भर्ती है जब तक की वह मांजे की डोर से बंधी हुई है अर्थात स्त्री त्याग,स्नेह, ममता, आत्मीयता और ऐसे ही अनेक गुणों का सम्मिश्रण है उसे उतने ही आदर से देखा जाना चाहिए जो सीता माता को प्राप्त था। ऐसा करके हम विभिन्न सामाजिक पारिवारिक विवादों और समस्याओं का स्थाई समाधान कर सकते हैं।
 हेमलता शर्मा "भोली बेन"
राजेंद्र नगर इंदौर

गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...