Saturday, July 24, 2021

मालवी कविता- मोबाइल को डबल्यो

 शीर्षक - मोबाइल को डबल्यो

-----------------------------
मोबाइल का डब्लया ने ।
असी कुच्मात मचई ।।
     (१)
खाणो छुट्यों पीणो छुट्यों ,
वर्जिस छूटी गई ।
बालक हुण की पढ़ई छूटी, 
आंखा फूटी गई।।
       (२)
छोराहुण दीवाना हुई ग्या, 
नौकरी छूटी गई।
बयरा हुण खे चस्को लाग्यो, 
रोटी बली गई।।
         (३)
डोकराहुण बी कम नी पड़े,
रोज स्टेटस अपडेट करें ।
डीपी ना में फोटू जड़ें,
छौरी हुण खे रिक्वेस्ट भेजे,
पण वी डोकरी निकली गई।।
       (४)
छौरी‌हुण भी लागी रे,
ढूंढे इपे सैल्यां,
मोबाइल  में डूब्या सगला,
हुई ग्या नैठूज गैल्या ।
दनभर चटक चाल्या करें,
फुर्सत में हे भई ।।
        (५)
भोली बेन की बात मानो,
छोड़ो इको चस्को ।
टेम टेम पे काम में लो,
यो संचार को साधन अच्छो ।।
अब्बी‌ भी नी समल्या,
तो पतन होयगो पक्को।
स्वास्थ्य गयो ने नैतिकता भी गई।।

मोबाइल का डब्लया ने ।
असी कुच्मात मचई ।।

     हेमलता शर्मा 'भोली बेन'
     राजेन्द्र नगर इंदौर

1 comment:

  1. आप सबको घणो घणो आभार 😀❤️🙏🏻💐

    ReplyDelete

गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...