शीर्षक -संतान चिए तो आंवळा नोमी मनाव
कार्तिक मास का शुकल पक्ष की नोमी तिथि के आंवळा नोमी को परब मनायो जाय हे। इके अक्षय नोमी का नाम से भी जाण्यो जाय हे। मानता हे के आंवळा नोमी का दन बरत रखो ने साते त आंवळी की पूजा भी करो, असो करने से सब पाप से मुक्ति मिले हे ने दुख दूर होय हे। इनी साल आंवळा नोमी को परब आज याने के 2 नवंबर 2022 बुधवार के ज मनायो जई रयो हे।
पूजा पाठ को तरीको/विधि:-
इनी दन बयरा होण आंवला का झाड़ नीचे बेठी ने संतान की चायना ने उका अच्छा स्वास्थ्य वास्ते पूजा करे हे। इनी दन आंवला का झाड़ नीचे बेठी ने भोजन भी करयो जाय हे। आंवला नोमी का मोटा दन बरत कथा के पढ़ने सुणने को भी विशेष महात्तम होय हे, असो मान्यो जाय हे के किशन भगवान ने बाल लीला छोड़ी ने अपणी जिम्मेदारी समझी ने आज का दन ज मथुरा छोड़ी थी । इनी वास्ते आज का दन के आंवळा नोमी का रूप में पुज्यो जाय हे।
सुबे परोड़े स्नान करी ने नवा लत्ता पेरी ने आंवळा का झाड़ नीचे बेठी ने उकी पूजा करो ने आंवला की जड़ में जल में काचो दूध मिलय ने चड़ाव, साते ज फूल, माला, सिंदूर, चोखा आदि लगय ने भोग लगाव अने फेर वां ज झाड़ नीचे बेठी ने भोजन करो। इका साते ज झाड़ की गोड़ में कच्चो सूत ने मोली आठ बार लपेटी ने पूजा करो। उका बाद बरत की कथा सुणो ने आरती करी लो। श्री बयरा होण बरत भी राखे हे।
आंवळा नोमी को माहत्तम:-
आंवळा नोमी का दन दान-पुन को जादा माहत्तम हे, मान्यो जाय हे के कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नोमी तिथि से लय ने कार्तिक सुदी पूनम तक विष्णु भगवान आंवळा का झाड़ में ज विराजमान रे हे । इनी वास्ते अक्षय/आखा नोमी का दन विधिवत आंवला का झाड़ की पूजा करनो ने इकी छाया में बेठी ने भोजन करनो शुभ मान्यो जाय हे, इनी दन आंवळा का झाड़ की 108 बार परकम्मा करने से सब मनोकामना पूरण हुई जाय हे ।
आंवला नोमी की कथा:-
काशी में एक निःसंतान ने धर्मात्मा बाण्यो रेतो थो । एक दन बाण्या की घरवाली के एक पड़ोसन बोली के तमारे संतान का रूप में बेटो चिए तो किनी पराया छोर-छोरी की बलि भेरू बाबा का नाम से चढ़य दो , उने या बात अपणा धणी के बतय पण उने मानने से इन्कार करी दियो पण बाण्या की घरवाली मोका की तलाश में लगी री, एक दन एक नानी छोरी के उने भेरू बाबा को नाम लय ने कुड़ा में धक्को दय दियो जिसे छोरी मरी गी पण उके संतान की जगे आखा डील में कोढ़ हुय ग्यो ने उनी छोरी की आत्मा उके सताने लगी, धणी के पूछने पे उने सगली बात बतय दी
तो पति खूब नाराज हुवो ने बोल्यो गोवध, ब्राह्यण वध ने बाल वध करने वाला का लिए इनी संसार में कां भी जगे नी हे। इका वास्ते तू गंगा तट पे जय ने भगवान को भजन कर ने रोज गंगा में स्नान कर । जदे ज तू इनी कष्ट से मुक्ति पायगा, बाण्या की घरवाली खूब पश्चाताप करने लगी ने रोग मुक्त होने वास्ते गंगामाता की शरण में गई, तब गंगा माता ने उके कार्तिक शुक्ल पक्ष की नोमी तिथि के आंवला का झाड़ की पूजा करी ने आंवळा सेवन की सलाह दी । गंगा माता का बताया अनुसार उने आज की तिथि के आंवळी की विधिविधान से पूजा करी ने आंवला ग्रहण करयो थो ने वां इनी रोग से मुक्त हुई गी थी, इनी पूजा ने बरत का प्रभाव से थोड़ा दन बाद ज उके संतान की प्राप्ति हुई । जद से ज हिंदू होण में इनी बरत के करने को प्रचलन बढ़्यो ने आज तक या परंपरा चली अय री हे। हे आंवला नोमी माता जसे उके संतान दी, उका दुख दूर करया सबकोई को करजो। जे आंवळा नोमी, जे विष्णु भगवान।
स्वलिखित
हेमलता शर्मा भोली बेन
इंदौर मध्यप्रदेश
No comments:
Post a Comment