मालवा को सिली सातम को तेवार
हिंदू पंचांग का अनुसार चेत मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के शीतला सप्तमी का रूप में मनायो जाय हे । हिंदू पोराणिक कथानुसार सीतला माता के चेचक की देवी मान्यो गयो हे। उनके देवी पार्वती अने देवी दुर्गा को अवतार मान्यो जाय हे, यो बरत माता होण बच्चाहोण का अच्छा सुवास्थ्य अने उनकी दीर्घायु की कामना वास्ते रखे हे।
पूजा विधि -
इना दन परोड़े उठी ने ठंडा पाणी से बयरा होण स्नान करें ने सीतला स्त्रोत को पाठ करी ने कथा-बारता सुनें। आज का दन ठंडो सीलो ज माताजी के भोग में चढ़े हे अने घर में ताजो भोजन नी बणे ।
सीतला माता की पूजा असे करो-
एक थाली में दई, रोटी, पुआ, बाजरो, नमक पारा, मठरी अने मीठा चोखा रखो. दूसरी थाली में आटा को दीवो बणय ने रखो. रोली, वस्त्र अक्षत, सिक्को अने मेहंदी रखो । माताजी को साज सिंगार रखो अने ठंडा पाणी से भरियो लोटो रखो । सीतला माता का मंदर में माताजी की पूजा करी ने बिना जल्यो दीवो रखी दो अने थाली में रख्यो भोग चढ़य दो.
माहत्तम-
स्कंद पुराण का अनुसार सीतला माता को वाहन गद्दो हे अने हाथहोण में कलश, बुआरी, सूपड़ो धारण करें ।असी मानता है कि माताजी बच्चा होण की बुखार, खसरा, चेचक, आंख का रोग से रक्षा करे हे। इनी तेवार के मनाने के वास्ते लोग एक दन पेला ज राते बासी भोजन तय्यार करी ले अने उको ज भोग लगावे ने परसादी का रूप में उ ज खावे । सिली सातम पे सीतला माता की पूजा करी ने बासी चीज को भोग लगाने से आरोग्य को वरदान मिले हे। माता सीतला अपणा बच्चहोण की गंभीर बीमारी होण से रक्षा करे, असी मानता हे। इका पीछे वेज्ञानिक कारण भी हे। ठंड को मोसम खतम हुय के गरमी की सुरुआत होली का बाद से ज हुई जाय हे तो मोसम का परिवर्तन से होने वाली बीमारी होण से बचने अने अपणा शरीर के मोसम का हिसाब से अनुकूलित करने वास्ते यो बरत उपयोगी हे। बदल्यो मोसम बच्घा होण के ज जादे चपेट में ले इका लिए इके उनकी सुरक्षा से जोड़ी के देख्यो जाय।
पूजा को शुभ मोरत -
हिंदू पंचांग का अनुसार, चेत माह की कृष्ण पक्ष की सीतला सप्तमी 13 मार्च 2023 की रात 9 बजी ने 27 मिनट से सुरू हुय जायगी जो 14 मार्च की रात 8 बजी ने 22 मिनट तक रेगी। उदया तिथि की मानता का अनुसार इको बरत 14 मार्च मतलब कि आज रख्यो जायगो।
सावधानी -
आज का दन बाल बच्चा होण की मां के माथो नी धोनो चिए आने बाल भी नी कटाना चिए । आज का दन कपड़ा-लत्ता भी नी सिवना चिए, सुई में तागो नी पिरोनो चिए । खासकर गरभवती बयरा होण के विशेष ध्यान रखनो चिए ।
कथा/बारता-
एक गाम में ब्राह्मण जोड़ो रेतो थो। उनका चार बेटा-बऊ था । बारी बारी से चारी बऊ रसोई बणाती । जसे-तसे दन बीत्या ने होली गई । अब्बे सिली सातम अई तो छोटी बऊ की रसोई की बारी थी । सासू ने बऊ से कयो के ठंडो सीलो करी लो सुबे माताजी के भोग लगेगा । छोटी बऊ के छोटो नानो थो उके सुवाड़ने में बऊ की नींद लगी गी ने सुबे आंख खुली । बऊ ने सोच्यो परसाद तो बण्यो नी तो झटपट उने भांडी में दाल रांदी दी ने बाटी सेंकी दी, खूब घी तड़तड़य ने डाली दियो । अने पूजा वास्ते थाल तय्यार करी ल्यो । झटपट गई ने सबका पेला पूजा करी अई । नरी देर बाद बऊ के याद आयो के नानो झोली में कद से ज सोयो हे उके दूध पिवाड़ी दूं । झोली में जय ने देख्यो तो नानो तो मरी ग्यो अब्बे बऊ रोने धोने लगी ने सासू के केणे लगी तमने कजनकां को बरत करियो ने म्हारो छोरो मरी ग्यो तम इके जिंदो करी ने लाव। सासू के तो काटो तो खून नी। बिचारी छोरा के खोल्या में लय ने भूखी प्यासी चली रोती जाय। रस्ता में उके एक डोकरी मिली जिसके हाथ पाटा, पग पाटा ने कुरूप। डोकरी ने पूछ्यो तू इनी छोरा के लय ने कां जाय तो सासू बोली म्हारी बऊ ने म्हारे कलंक लगायो हे छोरा के म्हारा माथे करियो हे तो जां सीतला माता मिलेगा वां जऊंगा ने छोरा के जिंदो करने की बिनती करुवां। माताजी बोली के यो तो नी होयगा। हूं ज सीतला माता हूं ।
थारी बऊ राते सोयगी ने सूबे उठी ने दाल रांदी तो म्हारी सब दाल बळी गी, बांटी सेकी ने घी कड़कड़ायो तो म्हारा दांत टूटी ग्या। रयोसयो संग गरम गरम म्हारा उपर कुड़ी गी तो हूं आखी बळी गी । मैंने सराप दियो तो उको छोरो मरी ग्यो।
सासू ने छोरा के माताजी का चरण में रख्यो ने कयो बऊ की करनी वा जाणे पण छोरा के तो जीवतो करनो पड़ेगा नी तो हूं तो भूखीप्यासी यां ज जीव दूंवा क्यवंकि बऊ ने म्हारे कलंक बांध्यो हे ने तमारा नाम को अपमान हुय रयो हे। माताजी के दया अई तो छोरा पे अमरत को छींटो डाल्यो। झट नानो रोवा लगी ग्यो। सासू ने माताजी का हाथ जोड़्या ने सीतला माता का ओटला पे जय ने नाना के बेठय दियो।
वईं कलाप करती बऊ के पड़ोसन ने खबर दी कि थारी सासू तो सीतला माता का ओटला पे बेठी हे ने नानो तो खेली रयो हे। इत्तो सुणता ज बऊ ने दोड़ी ने सासू का पांव पकड़्या ने माफी मांगी। सांची बात बतई के म्हारी नींद लगने से गरम भोजन माताजी के चड़य दियो थो। सासू बोली थारा करम से माताजी ने सराप दियो थो तो नानो मरी ग्यो थो पण अब्बे तू प्रण कर के हरेक सिली सातम पे ठंडो सिलो बणय ने माताजी की पूजा करेगा ने ठंडो ज खावेगा। इनी शरत पे माताजी ने नाना के जीवन दान दियो हे। बऊ ने माताजी के धोक लगय ने प्रण करियो जद से इनी बरत को प्रचलन हुवो ने बच्चा होण की मां सिली सातम करने लगी।
हे सीतला माता जसे बऊ के कष्ट दियो असो कोई के मत दीजो ने जसे सासू पे टूटमान हुई सबकोय पे होजो। जे सीतला माता की।
तमारी आपणी
भोली बेन