Thursday, March 30, 2023

राम जी की लीला

 

शीर्षक- रामजी की लीला

(रामनोमी विशेष)

राम नाम की धुन सुरीली,

लागे सबके घणी प्यारी हे ।

मर्यादा को पाठ पढ़ायो,

लीला उनकी घणी न्यारी हे ।। 


राम के जिने जनम दियो, 

बा दशरथ-कोशल्या महतारी हे ।

श्री राम भगवान केवाया तो,  

मां-बाप  भी अवतारी हे ।।


जनकसुता से ब्याव रचायो,

जग की पतिव्रता नारी हे ।

केकयी ने वन में भगायो,

दासी मंथरा ने मति मारी हे ।।


राक्षस के वन से भगायो,

शिला पांव मार अहिल्या तारी हे,

शबरी का एठा बोर खाया,

ऐसा भक्तहोण पे बलिहारी हे ।।


रावण कुल को नाश कर् यो,

सिया प्राण से प्यारी हे,

चोदह बरस बितय ने आया,

अयोध्या में मनी दिवारी हे ।।

               स्वरचित

    हेमलता शर्मा भोली बेन

      इंदौर, मध्यप्रदेश






       

Monday, March 13, 2023

मालवी सिली सातम

 मालवा को सिली सातम को तेवार



हिंदू पंचांग का अनुसार चेत मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के शीतला सप्तमी का रूप में मनायो जाय हे । हिंदू पोराणिक कथानुसार  सीतला माता के चेचक की देवी मान्यो गयो हे।  उनके देवी पार्वती अने देवी दुर्गा को अवतार मान्यो जाय हे, यो बरत  माता होण बच्‍चाहोण का अच्छा सुवास्‍थ्‍य अने उनकी दीर्घायु की कामना वास्ते रखे हे।

पूजा विधि -

इना दन परोड़े उठी ने ठंडा पाणी से बयरा होण स्नान करें ने सीतला स्त्रोत को पाठ करी ने कथा-बारता सुनें। आज का दन ठंडो सीलो ज माताजी के भोग में चढ़े हे अने घर में ताजो भोजन नी बणे । 

सीतला माता की पूजा असे करो-

एक थाली में दई, रोटी, पुआ, बाजरो, नमक पारा, मठरी अने मीठा चोखा रखो. दूसरी थाली में आटा को दीवो बणय ने रखो. रोली, वस्त्र अक्षत, सिक्को अने मेहंदी रखो । माताजी को साज सिंगार रखो अने ठंडा पाणी से भरियो लोटो रखो । सीतला माता का मंदर में माताजी की पूजा करी ने बिना  जल्यो दीवो रखी दो अने थाली में रख्यो भोग चढ़य दो.

माहत्तम-

स्‍कंद पुराण का अनुसार सीतला माता को वाहन गद्दो हे अने हाथहोण में कलश, बुआरी, सूपड़ो धारण करें ।असी मानता है कि माताजी बच्‍चा होण की बुखार, खसरा, चेचक, आंख का रोग से रक्षा करे हे। इनी तेवार के मनाने के वास्ते लोग एक दन पेला ज राते बासी भोजन तय्यार करी ले अने उको ज भोग लगावे ने परसादी का रूप में उ ज खावे । सिली सातम पे सीतला माता की पूजा करी ने बासी चीज को भोग लगाने से आरोग्‍य को वरदान मिले हे। माता सीतला अपणा बच्‍चहोण की गंभीर बीमारी होण से रक्षा करे, असी मानता हे। इका पीछे वेज्ञानिक कारण भी हे। ठंड को मोसम खतम हुय के गरमी की सुरुआत होली का बाद से ज हुई जाय हे तो मोसम का परिवर्तन से होने वाली बीमारी होण से बचने अने अपणा शरीर के मोसम का हिसाब से अनुकूलित करने वास्ते यो बरत उपयोगी हे। बदल्यो मोसम बच्घा होण के ज जादे चपेट में ले इका लिए इके उनकी सुरक्षा से जोड़ी के देख्यो जाय।

पूजा को शुभ मोरत -

हिंदू पंचांग का अनुसार, चेत माह की कृष्ण पक्ष की सीतला सप्तमी 13 मार्च 2023 की रात 9 बजी ने 27 मिनट से सुरू हुय जायगी जो  14 मार्च की रात 8 बजी ने 22 मिनट तक रेगी। उदया तिथि की मानता का अनुसार इको बरत 14 मार्च मतलब कि आज रख्यो जायगो।

सावधानी - 

आज का दन बाल बच्चा होण की मां के माथो नी धोनो चिए आने बाल भी नी कटाना चिए । आज का दन कपड़ा-लत्ता भी नी सिवना चिए,  सुई में तागो नी पिरोनो चिए ।  खासकर गरभवती बयरा होण के विशेष ध्यान रखनो चिए । 

कथा/बारता- 

एक गाम में ब्राह्मण जोड़ो रेतो थो। उनका चार बेटा-बऊ था । बारी बारी से चारी बऊ रसोई बणाती ।  जसे-तसे दन बीत्या ने होली गई । अब्बे सिली सातम अई तो छोटी बऊ की रसोई की बारी थी । सासू ने बऊ से कयो के ठंडो सीलो करी लो सुबे माताजी के भोग लगेगा । छोटी बऊ के छोटो नानो थो उके सुवाड़ने में बऊ की नींद लगी गी ने सुबे आंख खुली । बऊ ने सोच्यो परसाद तो बण्यो नी तो झटपट उने भांडी में दाल रांदी दी ने बाटी सेंकी दी, खूब घी तड़तड़य ने डाली दियो । अने पूजा वास्ते थाल तय्यार करी ल्यो । झटपट गई ने सबका पेला पूजा करी अई । नरी देर बाद बऊ के याद आयो के नानो झोली में कद से ज सोयो हे उके दूध पिवाड़ी दूं । झोली में जय ने देख्यो तो नानो तो मरी ग्यो अब्बे बऊ रोने धोने लगी ने सासू के केणे लगी तमने कजनकां को बरत करियो ने म्हारो छोरो मरी ग्यो तम इके जिंदो करी ने लाव।  सासू के तो काटो तो खून नी। बिचारी छोरा के खोल्या में लय ने भूखी प्यासी चली रोती जाय। रस्ता में उके एक डोकरी मिली जिसके हाथ पाटा, पग पाटा ने कुरूप। डोकरी ने पूछ्यो तू इनी छोरा के लय ने कां जाय तो सासू बोली म्हारी बऊ ने म्हारे कलंक लगायो हे छोरा के म्हारा माथे करियो हे तो जां सीतला माता मिलेगा वां जऊंगा ने छोरा के जिंदो करने की बिनती करुवां। माताजी बोली के यो तो नी होयगा। हूं ज सीतला माता हूं । 

थारी बऊ राते सोयगी ने सूबे उठी ने दाल रांदी तो म्हारी सब दाल बळी गी, बांटी सेकी ने घी कड़कड़ायो तो म्हारा दांत टूटी ग्या। रयोसयो संग गरम गरम म्हारा उपर कुड़ी गी तो हूं आखी बळी गी । मैंने सराप दियो तो उको छोरो मरी ग्यो। 

           सासू ने छोरा के माताजी का चरण में रख्यो ने कयो बऊ की करनी वा जाणे पण छोरा के तो जीवतो करनो पड़ेगा नी तो हूं तो भूखीप्यासी यां ज जीव दूंवा क्यवंकि बऊ ने म्हारे कलंक बांध्यो हे ने तमारा नाम को अपमान हुय रयो हे। माताजी के दया अई तो छोरा पे अमरत को छींटो डाल्यो। झट नानो रोवा लगी ग्यो। सासू ने माताजी का हाथ जोड़्या ने सीतला माता का ओटला पे जय ने नाना के बेठय दियो। 

           वईं कलाप करती बऊ के पड़ोसन ने खबर दी कि थारी सासू तो सीतला माता का ओटला पे बेठी हे ने नानो तो खेली रयो हे। इत्तो सुणता ज बऊ ने दोड़ी ने सासू का पांव पकड़्या ने माफी मांगी। सांची बात बतई के म्हारी नींद लगने से गरम भोजन माताजी के चड़य दियो थो। सासू बोली थारा करम से माताजी ने सराप दियो थो तो नानो मरी ग्यो थो पण अब्बे तू प्रण कर के हरेक सिली सातम पे ठंडो सिलो बणय ने माताजी की पूजा करेगा ने ठंडो ज खावेगा। इनी शरत पे माताजी ने नाना के जीवन दान दियो हे। बऊ ने माताजी के धोक लगय ने प्रण करियो जद से इनी बरत को प्रचलन हुवो ने बच्चा होण की मां सिली सातम करने लगी। 

           हे सीतला माता जसे बऊ के कष्ट दियो असो कोई के मत दीजो ने जसे सासू पे टूटमान हुई सबकोय पे होजो। जे सीतला माता की। 

 


 

                      तमारी आपणी

                            भोली बेन 


Saturday, March 11, 2023

लघुकथा - बोझिल रिश्ते

 


               बोझिल रिश्ते 

               

               संध्या अपने पिता का घर छोड़कर राजेश के साथ लिव-ईन में रह रही थी । पिता ने उसे समझाने की बहुतेरी कोशिश की - "बेटी हमारे यहां विवाह एक संस्कार है, जिस पर हमारा सामाजिक ढांचा निर्भर करता है और फिर लिव-ईन में तुम्हारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं। राजेश से ही ब्याह रचा लो।" 

               "नहीं पापा शादी के बाद के झंझट कौन पाले । अभी तो हम दोनों स्वतंत्र हैं । अपना-अपना काम करते हैं और कोई जिम्मेदारी का बोझ भी नहीं , न सास-ननद और जेठानी का हेडेक । मैं आफिस के लिए लेट हो रही हूं!" कहकर संध्या चलतीं बनी ।

               पिता मन ही मन सोच रहे थे -पारिवारिक रिश्ते और जवाबदारियां नई पीढ़ी के बच्चों को बोझ लग रहे हैं! समाज कहां जा रहा है, क्या हमारी परवरिश में कोई खामी है, इसी उधेड़बुन में कब अपने घर पहुंच गए, पता ही नहीं चला । 

                 

                   स्वरचित

         हेमलता शर्मा भोली बेन 

             इंदौर मध्यप्रदेश 



Sunday, March 5, 2023

अखिल भारतीय ज्योतिष अधिवेशन एवं अलंकरण समारोह

 


अभिभूत हूं कि आज पूरे देश भर से अखिल भारतीय ज्योतिष अधिवेशन एवं अलंकरण समारोह में पधारे ख्यात ज्योतिष और वास्तु मनीषियों के साथ मंचासीन होकर उनके ज्ञान को श्रवण करने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ जिसका श्रेय जाता है 



प्राच्य विद्या अनुसंधान संगठन इंदौर की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती आभा जैन जी, संरक्षक योगेन्द्र महंत जी भाई साहब, नीलेश गोधा जी, देवेन्द्र सिंघई जी, राजकुमार अग्रवाल जी सहित सम्पूर्ण आयोजन समिति को । 





विशिष्ट अतिथि के रूप में सबको मालवी लोकभाषा और मालवा की लोक संस्कृति से परिचित कराने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। सभी को साधुवाद एवं हृदय से आभार।

😀❤️💐🙏🏻

गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...