Sunday, February 19, 2023

सोमेती अमावस को माहत्तम

       सोमेती अमावस को माहत्तम

सोमेती अमावस को हिंदू धरम में विशेष माहत्तम हे. सोमवार के पड़ने वाली अमावस के सोमेती अमावस बोल्यो जाय हे. अपणा शास्त्र होण में सोमेती अमावस का दन माता पारवती अने भगवान शिवजी की पूजा को विधान बतायो गयो हे. इना दन पीपल का झाड़ की पूजा करी जाय हे.इना दन मानतानुसार पितरु की शांति वास्ते तरपण करयो जाय हे । पितर होण के परसन करने वास्ते काली तिल्ली को दान भी करयो जाय हे । 

पूजा विधि -

परोड़े हद्दी उठी ने बयरा होण के न्हाणो चिए ने साफ-सुंदर धोती पेरी ने पीपल का झाड़ की पूजा अक्षत, कंकु  से करनी चिए ने नाड़ो बांधनो चिए। 108 फेरा लगाने की परम्परा भी हे, जिनी वस्तु को दान करनो हे, उकी संख्या 108 होय तो घणों हऊ नी तो सवा किलो से भी फेरा लगय सको ने फेर वा वस्तु सुहागन होण के बांटी जाय हे ने सगला बड़ा-बूढ़ा का पांव पड़ी ने सुहाग को आसीरवाद लियो जाय हे। बूढ़ा-ढाड़ा मनख भी "अखंड सौभाग्यवती भव:" "सदा सुहागन रो", "जुग-जुग जीवो" , "दुधो न्हाव पूतो फलो" सरीखा आसीरवाद की बरसात करी दे हे। 

       गरुड़ पुराण में बतायो गयो हे के सोमेती अमावस पे धोती, गमछा समेत अन्य वस्त्रहोण को दान करने से पितरू परसन हुई जाय हे। सोमेती अमावस का दन दान देती बखत हाथ में तिल लय ने दान करनो चिए। 

सोमेती अमावस को माहत्तम-

इनी पावन दन पितरू को तरपण करने से उनको विशेष आसीरवाद मिले अने जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होय हे। इना दन पवित्र नद्दी होण में स्नान को भी विशेष माहात्तम होय हे। सोमेती अमावस का दन भगवान शिव की पूजा- अरचना करने से सगली मनोकामना पूरी हुय जाय हे । आज का दन भोलेनाथ अने माता पारवती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होय हे. सुहागन बयरा होण  अपणा धणी की लंबी आयु वास्ते बरत करें अने पीपल का झाड़ की पूजा करे हे जिससे शुभ फल की प्राप्ति होय हे । 

सोमेती अमावस बरत की कथा-

एक गरीब ब्राह्मण परिवार थो, जिमे  उसकी एक पुत्री भी थी। उनकी पुत्री   सुंदर, संस्कारवान अने गुणवान थी, पण गरीब होने का कारण उको ब्याव नी हुई पय रयो थो।

         एक दन उनी बामण का घर एक साधु महाराज पधारिया। साधु उनी कन्या का सेवाभाव से घणा प्रसन्न हुई ग्या । कन्या के लंबी आयु को आसीरवाद देती बखत साधु ने कयो के इनी कन्या का हाथ में ब्याव की रेखा नी हे तो दोय मनख दुखी हुई ग्या ने साधु महाराज से उपाय पूछ्यो साधु महाराज ने ध्यान लगय ने बतायो के कुछेक दूरी पे एक गांव में सोना नाम की एक धोबण अपना बेटा- बऊ का साते रे हे, जो घणी ही आचार-विचार वाली, संस्कार संपन्न अने पति परायण हे। यदि या सुकन्या उनी धोबण की सेवा करे अने वा धोबण इकी मांग में अपणी मांग को सिंदूर लगय दे, तो इको ब्याव हुई जायगा । 

           साधु महाराज की बात सुणी ने बामणी ने अपनी बेटी से धोबण की सेवा करने की बात करी । अगला दन से ज कन्या परोड़े-परोड़े उठी ने सोना धोबण का घर जय ने साफ-सफई ने उका घर का सगला काम करी ने अपणा घरे वापस आणे लगी।

        एक दन सोना धोबण ने अपणी बऊ से पूछ्यो- बऊ तू तो सुबे पेलां ज उठी ने सगला काम निपटय ले म्हारे तो पतो भी नी चले।

           बहू ने कयो- माँ जी, मने तो सोच्यो के तम सबका पेलां उठी ने सगला काम निपटय लो हो । हूं तो देर से उठू  ।  यो  सब जाणी ने दोय सास-बऊ घर की निगरानी करने लगी कि कुण हे जो सुबे पेली घर को सगलो काम करी ने चल्यो जाय हे ।


            नरा दन बाद धोबण ने देख्यो के एक कन्या मुं ढक्या इंदारा में घर में आय ने सगला काम करने का बाद चली जाय । जद वा जाने लगी तो सोना धोबण उका पांव में पड़ी ने पूछने लगी के तू कुण हे अने असे छिपी ने म्हारा घर की चाकरी क्यों करी री हे?

             तो कन्या ने साधु की सारी बात बतई। सोना धोबण पति परायण थी उमे तेज थो। उने जसे ज अपणी मांग को सिन्दूर उनी कन्या की मांग में लगायो, सोना धोबण को पति मरी ग्यो  तो सोना धोबण घर से निराजल चली । उना दन सोमेती अमावस थी । उने ईंट का टुकड़ा से 108 बार फेरा दय ने  पीपल का झाड़ की परकम्मा करी ने जल ग्रहण करयो। असो करते ज उको धणी जीवी उठ्यो तो जद से ज सोमेती अमावस मनने लगी। हे सोमेती अमावस माता जसे उनी धोबण के ने कन्या के सुहाग दियो असो सबके अम्मर सुहाग दीजो। 



               स्वलिखित

          हेमलता शर्मा भोली बेन

            


Thursday, February 16, 2023

शिव ज्योति अर्पणम् - चलो उज्जैयिनी

 शिव ज्योति अर्पणम् - चलो उज्जैयिनी

     महाकाल की महिमा न्यारी,

     वारी जाएं लोकदुनिया सारी,

     आओ शिवज्योति अर्पण करें,

     दीपों से सजी उज्जैयिनी प्यारी ।

            विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैयिनी की महिमा आदिकाल से लेकर वर्तमान तक किसी से छिपी नहीं है। इतिहास गवाह है कि उज्जैन सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि से अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है । त्यौहारों और पर्वों की नगरी रही उज्जैन में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पुनः ऐसा ही एक आयोजन मध्य प्रदेश शासन करने जा रहा है- "शिव ज्योति अर्पणम् । "

             महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालु महाकाल बाबा के दर्शनार्थ उज्जैयिनी पधारते हैं । उन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को केंद्र में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन 21 लाख दीपक प्रज्वलित करने का संकल्प लेकर विश्व कीर्तिमान बनाने की और अग्रसर है । इस महा शिवरात्रि पर लाखों लोग महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे और प्रत्येक श्रद्धालु शिप्रा मैया के तट पर दीपक प्रज्वलित करेंगे। 

           महाकाल लोक से उज्जैन ही ख्याति में उत्तरोत्तर हुई वृद्धि से निश्चित ही उज्जैन में पर्यटन के नए द्वार खुल गएं है । इसका श्रेय भी सरकार को जाता है। विगत वर्ष भी  11 लाख से अधिक दीपक प्रज्वलित करने का विश्व रिकार्ड उज्जैन में बनाया गया था । इसी श्रृंखला को निरंतर रखते हुए पुनः महाशिवरात्रि पर 21 लाख दीपक प्रज्वलित किए जा रहे हैं। 

           दर्शनार्थ पधारे श्रद्धालुओं को कोई कष्ट ना पहुंचे इस हेतु स्थानीय प्रशासन भी दिन रात अपनी व्यवस्था को चाकचौबंद करने में लगा हुआ है । इनके सकारात्मक प्रयास निश्चित रूप से दर्शनार्थियों को सुखानुभूति कराने में सफल होंगे ऐसी कामना की जा सकती है। 

            बाबा महाकाल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध सिद्ध स्थल है । बाबा महाकाल के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और समस्त कष्टों का निवारण होता है । अतः इस महा शिवरात्रि बाबा के दर्शनलाभ तो लीजिए ही सही, साथ ही विभिन्न स्थानों यथा- रामघाट, दत्ता अखाड़ा आदि पर की गई विविध व्यवस्थाओं और सौंदर्य को भी निहारने का अवसर मत चुकिएं । शिव ज्योति अर्पण के पुनीत पावन अभियान में हम भी सहभागी बने । अपनी ओर से बाबा महाकाल को एक दीप ज्योति प्रज्वलित कर अवश्य अर्पण कर अपनी श्रद्धा का परिचय देने का सौभाग्य मध्यप्रदेश शासन ने पुनः सभी को प्रदान किया है। इन गौरवशाली क्षणों के साक्षी बनकर पुण्य लाभ अर्जित करें। जय श्री महाकाल। 

                  स्वलिखित

          हेमलता शर्मा भोली बेन

              इंदौर मध्यप्रदेश

Sunday, February 12, 2023

मालवी -हिन्दी लघुकथाएं का लोकार्पण समारोह सम्पन्न

मालवी भाषा में हिंदी की लघुकथाओं का शानदार व यादगार लोकार्पण समारोह संपन्न।


मालवी-हिन्दी लघुकथाएं पुस्तक लोकार्पण समारोह वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश तिवारी उपवन की कलम से।

इंदौर

गत दिनों इंदौर के हिंदी साहित्य सभाग्रह में देश के सुप्रसिद्ध लघु कथाकार डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ल की लघु कथाओं का मालवी भाषा में अनुवाद सुप्रसिद्ध मालवी भाषा की लेखिका हेमलता शर्मा  भोली बेन ने किया। लघु कथा की मालवी भाषा में अनुवाद के मुख्य अतिथि देश के सुप्रसिद्ध लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार उज्जैन निवासी डॉ शिव चौरसिया थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक व विद्वान डॉ विकास दवे ने की। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में इंदौर के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी संजय पटेल मंचासीन थे।

 इस मनभावन व यादगार कार्यक्रम का संचालन बारी बारी से इंदौर नगर के वरिष्ठ पत्रकार भाई मुकेश तिवारी व लेखिका अर्पणा तिवारी ने  किया। 



हिंदी साहित्य सभा गृह में आगंतुक सभी महानुभावों का कार्यक्रम की प्रमुख हेमलता शर्मा भोली बेन के निर्देशन में अदिति शर्मा ने मालवी पगड़ी सिर पर तिलक व बेज लगाकर आत्मीयता से हार्दिक अभिनंदन किया। 



भारतीय संस्कृति और परंपरा से ओतप्रोत यह कार्यक्रम वास्तव में लोगों के दिलों में बहुत दिनों तक एक अमिट याद बनकर रहेगा ।इस कटु सत्यता से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है। मंच पर बैठे देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व मुख्य अतिथि डॉक्टर शिव चौरसिया व रंग कर्मी संजय पटेल के चेहरे पर मालवी भाषा के उन्नयन की बेहद चिंता थी यह उनकी मुख्य मुद्रा को देखकर लग रहा था। दूसरी ओर देश के वरिष्ठ लघु कथाकार योगेंद्र नाथ शुक्ल की चेहरे पर मुस्कुराहट और अनुवादिका हेमलता शर्मा भोली बेन के चेहरे की मुस्कुराहट से ऐसा लग रहा था कि निश्चित ही मालवी भाषा का परचम एक दिन  मालवा के दो करोड़ लोगों में जरूर  फहराएगा। 

सरस्वती वंदना में वयोवृद्ध लेखिका आदरणीय सरला बेन मेहता ने वाकई में आनंद ला दिया। दूसरी ओर मालवी भाषा के लोक गायक भाई मधुसूदन जी त्रिवेदी ने स्वागत वंदन गीत गाकर आनंद ला दिया। आकाशवाणी इंदौर के स्वर्गीय सीताराम वर्मा भेरा जी के पोते जयेश कैलाश वर्मा का अभिनंदन भी मंच पर याद बनकर हमेशा रहेगा। 


हेमलता शर्मा भोली बेन ने जितने भी साहित्य मनीषियों का सम्मान किया वह एक तरह से मालवा के हीरे थे। डॉक्टर योगेंद्र नाथ शुक्ल की हिंदी लघु कथाओं का मालवी भाषा में भोली बेन द्वारा अनुवाद वाकई में एक यादगार कार्यक्रम बनकर रहेगा ।कार्यक्रम में अतिथि परिचय डॉ निरुपमा नागर, महिमा शुक्ला, निरुपमा त्रिवेदी आदि ने किया। मंच पर आसीन सभी विद्वत जनों ने सारगर्भित उद्बोधन से रसिक श्रोताओं का मन हमेशा के लिए मोह लिया। I इस इस यादगार कार्यक्रम में मुख्य रूप से हिंदी साहित्य के मनीषी भाई महेंद्र सांघी, लोक भजन गायक भाई तेजकरण दुबे, पत्रकार मुकेश इंदौरी ,राम चंद्र अवस्थी, कवि भदोरिया जी प्राण, राष्ट्रीय कवि सत्यन वर्मा सत्येन, जयेश कैलाश भेरा जी ,डॉक्टर पंकज बिरमाल, डॉ प्रताप सिंह सोढ़ी, आशिक हुसैन देवास वाला, सरला बहन मेहता ,अर्पणा तिवारी, मुकेश तिवारी, पत्रकार निरुपमा त्रिवेदी, निरुपमा नागर, गरिमा संजय दुबे, महिमा शुक्ला, मुकेश शर्मा,दिनेश तिवारी उपवन आदि की उपस्थिति सराहनीय रही। कार्यक्रम में डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ल द्वारा अपनी चार लघु कथाओं का वाचन बेहद अनुकरणीय रहा। साथ ही हेमलता शर्मा भोली बेन ने डॉक्टर योगेंद्र नाथ शुक्ल की लघु कथाओं का मालवी भाषा में वाचन कर उपस्थित श्रोताओं की बहुत दाद बटोरी।  आभार प्रदर्शन युवा तुर्क अभिमन्यु शर्मा ने मालवी भाषा में किया जो बेहद सराहनीय था। मालवा की संस्कृति पर आधारित यह कार्यक्रम मालवा की सुप्रसिद्ध लेखिका हेमलता शर्मा के अथक प्रयास व लगन से पूरी तरह प्रायोजित था इस तरह के कार्यक्रम साहित्य जगत में विरले ही देखने को मिलते हैं हेमलता शर्मा भोलीबेन इस यादगार कार्यक्रम के लिए निश्चित ही बधाई की पात्र है।


दिनेश तिवारी उपवन


प्रांतीय सचिव पत्र लेखक मंच,

110,गोयल एवेन्यू, निपानिया, इंदौर


चित्र में: प्रथम क्रम पर मालवी की सुप्रसिद्ध लेखिका हेमलता शर्मा भोली बेन, डॉक्टर शिव चौरसिया वरिष्ठ साहित्यकार उज्जैन, साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक और विद्वान डॉ विकास दवे भोपाल और साथ में मैं स्वयं दिनेश तिवारी उपवन साहित्यकार।


गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...