सोमेती अमावस को माहत्तम
सोमेती अमावस को हिंदू धरम में विशेष माहत्तम हे. सोमवार के पड़ने वाली अमावस के सोमेती अमावस बोल्यो जाय हे. अपणा शास्त्र होण में सोमेती अमावस का दन माता पारवती अने भगवान शिवजी की पूजा को विधान बतायो गयो हे. इना दन पीपल का झाड़ की पूजा करी जाय हे.इना दन मानतानुसार पितरु की शांति वास्ते तरपण करयो जाय हे । पितर होण के परसन करने वास्ते काली तिल्ली को दान भी करयो जाय हे ।
पूजा विधि -
परोड़े हद्दी उठी ने बयरा होण के न्हाणो चिए ने साफ-सुंदर धोती पेरी ने पीपल का झाड़ की पूजा अक्षत, कंकु से करनी चिए ने नाड़ो बांधनो चिए। 108 फेरा लगाने की परम्परा भी हे, जिनी वस्तु को दान करनो हे, उकी संख्या 108 होय तो घणों हऊ नी तो सवा किलो से भी फेरा लगय सको ने फेर वा वस्तु सुहागन होण के बांटी जाय हे ने सगला बड़ा-बूढ़ा का पांव पड़ी ने सुहाग को आसीरवाद लियो जाय हे। बूढ़ा-ढाड़ा मनख भी "अखंड सौभाग्यवती भव:" "सदा सुहागन रो", "जुग-जुग जीवो" , "दुधो न्हाव पूतो फलो" सरीखा आसीरवाद की बरसात करी दे हे।
गरुड़ पुराण में बतायो गयो हे के सोमेती अमावस पे धोती, गमछा समेत अन्य वस्त्रहोण को दान करने से पितरू परसन हुई जाय हे। सोमेती अमावस का दन दान देती बखत हाथ में तिल लय ने दान करनो चिए।
सोमेती अमावस को माहत्तम-
इनी पावन दन पितरू को तरपण करने से उनको विशेष आसीरवाद मिले अने जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होय हे। इना दन पवित्र नद्दी होण में स्नान को भी विशेष माहात्तम होय हे। सोमेती अमावस का दन भगवान शिव की पूजा- अरचना करने से सगली मनोकामना पूरी हुय जाय हे । आज का दन भोलेनाथ अने माता पारवती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होय हे. सुहागन बयरा होण अपणा धणी की लंबी आयु वास्ते बरत करें अने पीपल का झाड़ की पूजा करे हे जिससे शुभ फल की प्राप्ति होय हे ।
सोमेती अमावस बरत की कथा-
एक गरीब ब्राह्मण परिवार थो, जिमे उसकी एक पुत्री भी थी। उनकी पुत्री सुंदर, संस्कारवान अने गुणवान थी, पण गरीब होने का कारण उको ब्याव नी हुई पय रयो थो।
एक दन उनी बामण का घर एक साधु महाराज पधारिया। साधु उनी कन्या का सेवाभाव से घणा प्रसन्न हुई ग्या । कन्या के लंबी आयु को आसीरवाद देती बखत साधु ने कयो के इनी कन्या का हाथ में ब्याव की रेखा नी हे तो दोय मनख दुखी हुई ग्या ने साधु महाराज से उपाय पूछ्यो साधु महाराज ने ध्यान लगय ने बतायो के कुछेक दूरी पे एक गांव में सोना नाम की एक धोबण अपना बेटा- बऊ का साते रे हे, जो घणी ही आचार-विचार वाली, संस्कार संपन्न अने पति परायण हे। यदि या सुकन्या उनी धोबण की सेवा करे अने वा धोबण इकी मांग में अपणी मांग को सिंदूर लगय दे, तो इको ब्याव हुई जायगा ।
साधु महाराज की बात सुणी ने बामणी ने अपनी बेटी से धोबण की सेवा करने की बात करी । अगला दन से ज कन्या परोड़े-परोड़े उठी ने सोना धोबण का घर जय ने साफ-सफई ने उका घर का सगला काम करी ने अपणा घरे वापस आणे लगी।
एक दन सोना धोबण ने अपणी बऊ से पूछ्यो- बऊ तू तो सुबे पेलां ज उठी ने सगला काम निपटय ले म्हारे तो पतो भी नी चले।
बहू ने कयो- माँ जी, मने तो सोच्यो के तम सबका पेलां उठी ने सगला काम निपटय लो हो । हूं तो देर से उठू । यो सब जाणी ने दोय सास-बऊ घर की निगरानी करने लगी कि कुण हे जो सुबे पेली घर को सगलो काम करी ने चल्यो जाय हे ।
नरा दन बाद धोबण ने देख्यो के एक कन्या मुं ढक्या इंदारा में घर में आय ने सगला काम करने का बाद चली जाय । जद वा जाने लगी तो सोना धोबण उका पांव में पड़ी ने पूछने लगी के तू कुण हे अने असे छिपी ने म्हारा घर की चाकरी क्यों करी री हे?
तो कन्या ने साधु की सारी बात बतई। सोना धोबण पति परायण थी उमे तेज थो। उने जसे ज अपणी मांग को सिन्दूर उनी कन्या की मांग में लगायो, सोना धोबण को पति मरी ग्यो तो सोना धोबण घर से निराजल चली । उना दन सोमेती अमावस थी । उने ईंट का टुकड़ा से 108 बार फेरा दय ने पीपल का झाड़ की परकम्मा करी ने जल ग्रहण करयो। असो करते ज उको धणी जीवी उठ्यो तो जद से ज सोमेती अमावस मनने लगी। हे सोमेती अमावस माता जसे उनी धोबण के ने कन्या के सुहाग दियो असो सबके अम्मर सुहाग दीजो।
स्वलिखित
हेमलता शर्मा भोली बेन