Sunday, September 18, 2022

पागड़ीबंद, घाघरा बंद, पावणापई सम्मेत पधारजो-भोली बेन*

 *नई पीढ़ी को लोक परम्पराओं को सहेजना होगा - डॉ साधना बलवटे*



*मालवी निमाड़ी शोध संस्थान ने मनाया संजा पर्व* 

*पागड़ीबंद, घाघरा बंद, पावणापई सम्मेत पधारजो-भोली बेन* 

इंदौर . संझा पर्व मालवा निमाड़ अंचल का प्रसिद्ध लोक पर्व है जो संजा माता को एक बेटी और सखी के रूप में 16 दिन तक अपने घर में सहेज कर प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है । नवीन पीढ़ी लोक परंपराओं को भूलती जा रही हैं, उन्हें सहेजना होगा । यह विचार मालवी-निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान के संजा गीत कार्यक्रम में निमाड़ी बोली में डॉक्टर साधना बलवटे, वरिष्ठ साहित्यकार ने कही । संस्थान की अध्यक्ष डॉ स्वाति तिवारी ने संजा पर्व की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि गाय का गोबर, गुलदावरी के फूल आदि का उपयोग संजा बनाने में होता है जो वर्षाकाल के पश्चात उपजे कीटाणुओं से घर को सुरक्षित रखते हैं । कोरोनाकाल से तो इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। 



      कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था सचिव हेमलता शर्मा भोली बेन ने मालवी बोली में स्वरचित सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर किया तथा वरिष्ठ साहित्यकार सरला मेहता ने मालवी गणेश वंदना से गजानन महाराज का आह्वान किया। संजा माता की प्रतिस्थापना के पश्चात कार्यक्रम 16 दिनों तक चलने वाले संजा पर्व के मद्देनजर 16 लोगों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई जिनमें विशिष्ट अतिथि विनीता तिवारी नेे काजल टीकी लो बई, काजल टीकी लई ने म्हारी संजा बई ने दो गीत सुनाया । डॉ शशि निगम,और नित्येंद्र आचार्य ने जहां स्वरचित संजा गीतों की मनोहारी प्रस्तुति दी, वही निरुपमा त्रिवेदी, निरुपमा नागर, राधिका चतुर्वेदी, निर्मला कानूनगो, अर्चना कानूनगो, अर्चना मंडलोई, मणिमाला शर्मा, शर्मिला दुबे डॉ क्षमा शर्मा ने लोक प्रचलित संजा गीतों को प्रस्तुत किया । कार्यक्रम का संचालन संस्था सचिव भोली बेन ने मालवी में किया । काार्यक्र में मालवी आमंत्रण पत्र चर्चा का विषय रहा


                   *मालवी न्योतो*

मालवा में केवात हे के तेड़ो पावणा पई सम्मेत देणो पड़े तो तम सब भी आव ने अपणा साते अपणा घर का मनख, पामणा, अड़ोसी-पड़ोसी सबके तेड़ी लाजो । मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान में काल दुफेरे को ३ बजे को सबके न्योतो हे । पागडीबंद ने घाघरा बंद झटक पावणा पई सम्मेत पधारजो साब । देखजो कोई छूटी नी जाय हो...तमारी आपणी भोली बेन 😄🙏🏻💐💐

              आभार भी डॉ शशि निगम ने मालवी बोली में ही व्यक्त किया। 

               🙏आभार 🙏

         सबका पेलाँ तो हूँ 'मालवी निमाड़ी शोध संस्थान, इन्दौर (मध्य प्रदेश) की घणी-घणी आभारी हूँ के लोक संस्कृति संरक्षण जेसा पावन कारज सारू आप संजा परब के घणी सरधा भक्ति का साँते मनई रिया हो।

     आज 'संजा गीत' का शानदार कार्यक्रम की अध्यक्षता करवा वाळा मानेता बेन सा डॉक्टर साधना बलवटेजी, संस्थापक अध्यक्ष मानेता डॉक्टर स्वाति तिवारीजी,खास पामणा मानेता बेन सा विनीता तिवारीजी, सचिव अने सूत्रधार सबकी प्यारी भोली बेन सा को घणो घणो आभार मानूँ हूँ।

    अने सबती घणी आभारी हूँ 16 दन का प्रतीक 16 आदरणीय बेन होण की जिनने संजाबई का भाव भर् या पारंपरिक अने स्वरचित गीत गई ने कार्यक्रम के सफल बणायो। म्हारे पूरो भरोसो हे जदे बी हम आपके याद कराँगा, आप अवश्य पधारोगा।

घणो घणो धन्यवाद अने हिरदा ती आभार।

     


संपूर्ण आयोजन मालवी और निमाड़ी बोली में संपन्न हुआ। सरस एवं शुद्ध देशी कार्यक्रम के दौरान मालवी कवि भीम सिंह पंवार, मालवी साहित्यकार अरविन्द जोशी,  निमाड़ी साहित्यकार तनुजा शर्मा, बालीवुड अभिनेता राघवेन्द्र तिवारी, विदिशा से डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट महेश हनोतिया,सुधा चौहान एवं अन्य मालवी निमाड़ी प्रेमी उपस्थित रहे और संजा गीतों का आनंद लिया।

         

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