Sunday, September 24, 2023

तेजा दशमी - मालवा का लोक पर्व

 तेजा दशमी - मालवा का लोक पर्व 

               वैसे तो तेजा दशमी पर्व मूलतः राजस्थान का है किंतु राजस्थान से मध्य प्रदेश का मालवा प्रांत लगा हुआ होने के कारण मालवा में भी तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है और तेजाजी महाराज को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है ऐसी मान्यता है कि तेजाजी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश से बचा जा सकता है इस बारे में भी एक लोक कथा प्रचलित है । 

                 कहा जाता है कि तेजाजी ने अपने परिवार का गौरव बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। स्थानीय पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही हो गया था, लेकिन वे इससे अनजान थे। दोनों परिवारों के बीच पुरानी दुश्मनी के कारण उन्हें अपनी शादी का पता नहीं चला। बड़े होने पर अपनी शादी की जानकारी होने पर, वह अपनी पत्नी को घर लाने गए। अपने रास्ते में, उन्हें एक सांप का सामना करना पड़ा, जिसने तेजाजी की पत्नी के परिवार के साथ सांप की दुश्मनी के कारण उसे काटने की इच्छा की। वीर तेजाजी ने अपनी पत्नी को घर लाने के बाद लौटने का वादा किया। उसने अपनी पत्नी के घर के रास्ते में कई दुश्मनों का सामना किया और उन सभी को मारने में सक्षम था। लौटने के बाद, तेजाजी ने अपनी पत्नी को घर छोड़ दिया और सांप के पास वापस चले गए।

                   तेजाजी का मेला 

सांप को जीभ पर तेजाजी को काटना पड़ा क्योंकि तेजाजी के शरीर का कोई अन्य हिस्सा चोटों से रहित नहीं था। वीर तेजाजी ने अपने परिवार का सम्मान बनाए रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और उसके बाद उन्हें लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा। 

               कृषक इन्हें बहुत मानते हैं क्योंकि तेजाजी महाराज भी कृषक थे । वे सूर्योदय से पहले ही हल, बैल, पिराणी आदि लेकर निकल जाते थे । एक बानगी देखिए -

         काँकड़ धरती जाय निवारी कुँवर तेजा रे

         स्यावड़ ने मनावे बेटो जाटको।

         भरी-भरी बीस हळायां कुँवर तेजा रे

          धोळी रे दुपेरी हळियो ढाबियो

          धोरां-धोरां जाय निवार्यो कुँवर तेजा रे ।

          ऐसे अनेक प्रसंग है। 

               

                 तेजा दशमी तेजाजी की जयंती पर मनाई जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्ल दशमी या भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन आती है। कुछ लोगों ने कल यह लोक पर्व मना लिया कुछ लोग आज तेजा दशमी मनाएंगे । अलग-अलग जगह ग्रामों में तेजाजी के निशान भी निकाले जाते हैं और जगह-जगह मेला भी भरता है। इस दिन मवेशी खरीदना और बेचना शुभ माना जाता है। लोक संस्कृति में वीर तेजाजी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय डाक विभाग ने 7 सितंबर, 2011 को तेजाजी के सम्मान में एक विशेष डाक टिकट जारी किया था। आप सभी को तेजा दशमी की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं।

                       आपकी भोली बेन



                         

Wednesday, September 6, 2023

जन्माष्टमी - अपणा मुख्यमंत्री मोहन यादव जी भी कय रिया हे के मालवी जन्माष्टमी मनावां, कांकरिया अजमा को भोग लगावां।

शीर्षक -अपणा मुख्यमंत्री मोहन यादव जी भी कय रिया हे के मालवी जन्माष्टमी मनावां, कांकरिया अजमा को भोग लगावां। 

           वसे तो जन्माष्टमी आखा देस में मनई जाय हे अने मथरा-वृंदावन की फेमस भी हे पण अपणो मालवो भी कई कम नी हे। यां का लोगोण को उत्साह भी चरम पे रे हे । अने तिथि होण का घालमेल को रापटरोल्यो हर बार ज चले हे। एक तिथि दो दन तक चले हे। इसे यो लगे हे कि उत्सवप्रेमी भारत को सच्चों प्रतिनिधित्व "अपणो मालवो" ज करे हे। या की जगे हरेक तेवार दो दन तक मनायो जाय हे। अपणे कई खाव-पियो, देवदरसन करो ने मोज करो। अपणा मुख्यमंत्री जी भी कय रिया हे। नी मानो तो 21 अगस्त 2024 को सर्कूलर देखी लो । 



           मालवा में जन्माष्टमी कृष्ण मंदर होण का साते लगभग हरेक घर में मनई जाय हे। वल्लभ सम्प्रदाय का लोगोण तो ठाकुर जी को अच्छो खासो उत्सव करे हे। बालरूप की पूजा करे। मिष्ठान बणावे अने राते 12 बजे कृष्ण भगवान को जनम मानी ने आरती उतारें। विशेस करी ने धणा की पंजीरी ने कांकरिया अजमा को भोग लगावे। इनी बहाना से गरीब-से-गरीब मनख भी डिराय फ्रूट को परसाद खय ले हे।  

            इनी दाण भी 6 सितंबर की दुफेर से लय ने 7 सितंबर की दुफेर तक जनमानस जन्माष्टमी परब मनावेगो आने लड्डू गोपाल को हिंडोलो सजावेगो। अने अपणा मालवा का लोगोण तो इत्ता उत्साहित रे हे के जगे-जगे चोराया पे दही - मटकी टांगी ने मटकी फोड़ की प्रतियोगिता ज कराने मंडी जाय अने ओर तो ओर मटकी फोड़ने वाला अपणा के " "गोपाल" से कम नी समझे। अई चढ़े-वई चढ़े, उपरा-उपरी पड़े पण मटकी जरूर फोड़े अने मटकी फोड़ने का बाद दई माखन बखरी जाय उके चाटी-पोंछी ने खाय, इको भी अलग ज आनंद हे बाल लीला के साकार करनो चाय हे। नरा लोगोण आज राखी को तेवार भी मनाय हे।

            तो भई बेण तमारे सबके जन्माष्टमी की दो बार बधई । दो दन तक खूब तेवार मनावो अने इंदौर का राजवाड़ा का कृष्ण मंदिर में दरसन करनो मत भूलजो असेज उज्जैन का गोपाल मंदिर, आगर को रणछोड़ दास मंदिर की रोनक भी कम नी रेगी। सब जगा दरसन करने जाव ने पंजेरी ने कांकरियो अजमो जरूर बणाजो, जापा वाली के खिलायो जाय हे पण परसादी का रूप में अपण सब ज लांगा। चरनामृत वास्ते पंचामृत भी बणाजो। लड्डू गोपाल के नवा वस्त्र धारण कराजो अने घर का नाना-मोटा छोरा-छोरी होण को सिंगार करी ने लड्डू गोपाल सरुखा सजाजो अने फेर सेल्फी ने रील बणय ने फेसबुक अने इंस्टा पे चोटय दीजो। व्हाट्सएप पे बधई तो काल से ज शुरू हुई गी हे। "आलकी के पालकी जे हो लड्डू गोपाल की "


   


                                                  स्वरचित

  हेमलता शर्मा भोली बेन               इंदौर मध्यप्रदेश 

         

गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...