Saturday, September 24, 2022

बच्चों ने उत्साह पूर्वक मनाया संजा पर्व

 

           बच्चों ने उत्साह पूर्वक मनाया संजा पर्व

               बच्चों ने उत्साह पूर्वक मनाया संजा पर्व
                   अपणो मालवो की अभिनव पहल
          200 बच्चों को संजा पर्व पुस्तक का वितरण

   भारतीय ग्रामीण महिला संघ द्वारा संचालित श्रमिक कालोनी राऊ स्थित जीवन ज्योति विद्यालय के लगभग दो सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने आज  अपणो मालवो, मालवी चौपाल तथा मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान के आव्हान पर संजा पर्व उल्लास पूर्वक मनाया जिसमें लगभग 20 बच्चों ने सहभागिता करते हुए गोबर से संजा निर्माण और फूल पत्तियों से साज सज्जा का जिम्मा लिया और अपनी प्राचार्य प्रतिभा जोशी और अपणो मालवो की संस्थापक अध्यक्ष एवं मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान की सचिव हेमलता शर्मा भोली बेन तथा मालवी चौपाल के संस्थापक पं मुकेश शर्मा के साथ मिलकर मालवा निमाड़ की लोक देवी संजा बाई की आकृति अपने नन्हे-नन्हे हाथों से बनाई और फूल पत्तियों से सजाया । मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान की संस्थापक अध्यक्ष डॉ स्वाति तिवारी जी स्वास्थ्य कारणों से वर्चुअली सम्मिलित रही और बच्चों को शुभाशीष दिया। भोली बेन ने बच्चों से लोक संस्कृति, बोली के सीखने-सिखाने, निशुल्क मालवी कक्षाओं को लेकर बात की।


          बच्चों को जब मालवी भाषा में लिखी पुस्तक संजा पर्व और मालवी लोकोक्तियां एवं मुहावरे अपणो मालवो भाग-1 वितरित की गई तो उनके चेहरे खुशी से चमक उठे । उन्होंने वही संजा गीत भी गाकर सुनाएं । यह गीत उन्हें उनकी प्राचार्या ने तैयार करवाए थे । बच्चो ने संजा माता का आरती गीत- संजा जिमले चुठले मैं जिमाऊं सारी रात, छोटी-सी गाड़ी लुढ़कती जाय, संजा तू थारा घरे जा आदि गीत बड़े सुरीले ढंग से सुनाएं। भोली बेन और पं मुकेश शर्मा ने बच्चों को पुस्तकें वितरित की और संजा बनाने वाले  बच्चों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किए जिनके नाम इस प्रकार है- आनंद पनुकर, क्षितिज पांचाल, देवराज पांचाल, श्रद्धा पठारिया, देवांश राठौर, ललित पांचाल, लकी राठौर, खुशबू पंवार, अंजलि ताम्रकार, अमृत पंवार, किरण वर्मा, विशाल सेन, शैलेंद्र राठौर, यश चौहान, रोशनी पंवार, विनय पंवार, अंजलि भट्टाचार्य, पायल छारेल शैलेंद्र राठौर । स्कूल स्टाफ ने पूरा सहयोग किया ।  



Friday, September 23, 2022

चाल वो संजा गोठन खेलवां ही चांला ।

शीर्षक -चाल वो संजा गोठन खेलवां ही चांला ।


भारत के आवखी दुनिया में परब वास्ते जाण्यो जाय हे ।  जिनी तरे से राजस्थान में गणगोर, असम में बिहू, हरियाणा में गुग्गानोमी, गुजरात में नवरात ने बिहार में छठ पूजा सरीखा लोक परब को प्रचलन हे, उनी तरे ज भारत को हियो मान्यो जाने वाला मध्यप्रदेश का मालवा-निमाड़ अंचल में मनायो जाने वालो लोक परब हे- संजा बई ।

                संजा परब मालवा निमाड़ अंचल की सांस्कृतिक परंपरा के पुष्ट करने वालो लोक परब हे जो क्वांर मईना में सोला दन सराद पक्ष में मनायो जाय हे । कुंवारी नानी होण गाय का गोबर से घर का मुख द्वार की दिवाल पे संजा बई को मांडनो बणावे हे । इका लिए बड़ी मेनत से गाय को ताजो गोबर राम ने फेर  उसे संजाबई की भोंया, आंख्यां,नाक, होंठ, सूरज, चंदा, ध्रुव तारो आदि तिथिनुसार आकृति होण बणय ने गुलदावरी, कनेर, चंपा आदि का फूलड़ा ने पत्ती से सजायो जाय हे। सोला दिन की सोला आकृति होण निर्धारित हे जसे कि  पेला दन(पूनम)-पाटलो,दूजा दन (पड़वा)-हाथ से झलने वालो पंखो, तीजो दन (दूज)-बिजोरा, चौथा दन (तीज)-घेवर (एक तरे की मिठई), पांचवों दन (चतुर्थी)- चोपड़, छठा दन (पांचम)- पांच कुंवारा- कुंवारी, सातवां दन (छठ)-बिलोनी ने छाबड़ी, आठवां दन (सातम)- सातियो, नवो दन (आठम)-आठ पंखूड़ी को फूल,  दसवों दन (नोमी)डोकरा-डोकरी-, ग्यारहवो दन (दशमी)-दीवो या निसरनी,  बारहवो दन (ग्यारस)-केला को झाड़ ने मोर, तेरहवो दन(बारस) बंदनवार, चोदहवो दन (तेरस)-बेलगाड़ी, पंद्रहवो दन (चवदस)-तुलसी क्यारों, सोलहवो दन (अमावस)-किलाकोट ।

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             सोला दन तक रोज नानी होण इकट्ठी हुय ने संजा बई की आरती उतारे -   

       पेली आरती रई रमजोर, 

       काका बाबा की गलियों में, 

       फूल बिखेरूं कलियों में, 

       सिंघासन मेलूं दाता में,

       तम लो संजा बाई आरती । 

                छिपय ने परसाद को भोग- संजा जीम लें, चूठ लें, चुड़लो चमकय लें, चूड़ा उपर चांदनी, चांदनी ऊपर मोर, मोर नाचे दो घड़ी, मैं नाचूं सारी रात, चटक चांदनी-सी रात, फूलां भरी रे परात, एक फूलों घटी ग्यो, संजा बाई रूसी गी- भोजन गीत गाता हुवा लगाय  ने फेर कटोरी में परसाद के बजय- बजय ने अपणी सेलीहोण  से उको नाम बूझने को खेल खेले हैं ने परसाद के सुंघय ने , मीठो हे के चरको (तीखो) हे या फीको हे , असो पूछे ने फेर संजाबई का गीत गाय- संजाबई का लाड़ाजी, लुगड़ो लाया जाड़ा जी , म्हारा आंगन में केल उगी, काजल टीकी लो बई काजल टीकी लो, काजल टीकी लई ने म्हारी संजा बई ने दो, चाल वो संजा गोठन खेलवां ही चांला, खेलवां कई चाला दरी लिपणो ही छाबणो, नानी-सी गाड़ी लुढ़कती जाय, जिमे बैठी संजा बई से लेकर संजा तू थारा घरे जा ।  सोला दन तक यो मनोरंजक क्रम चले ।  पेला का टेम पे मनोरंजन को साधन भी यो ज होतो थो। 

                इके मनाने का पीछे यो कारण हे के  प्रकृति को संरक्षण ने गोधन को संवर्धन हुय सके। इस लोकपर्व का वैज्ञानिक कारण भी हे । बरसात का बाद घरहोण में सीलन हुई जाय जिसे मच्छर, बैक्टीरिया आदि पनपने को डर रे तो संजा परब पे घर की लिपई-छबई गोबर से करी ने गोमूत्र को छिड़काव करने से घर की शुद्धता ने पवित्रता बनी रे ने अपण भी निरोगी रां । । 

                खाली वेज्ञानिक नी बल्कि सामाजिक - सांस्कृतिक दृष्टि से भी यो परब माहत्तम रखाय हे । कम उमर की नानीहोण संस्कार, रिश्तों निभाने को भाव, जिनगी जीने का तौर तरीका, सलीका आदि खेल-खेल में ज सीखी जाय हे तो यो लोक परब सीधे-सीधे अपणे पर्यावरण ने अपणी संस्कृति से जोड़े हे ।   अमावस के बेता पाणी में संजाबई के परबई दियो जाय । इका पाछे या मानता हे के गोबर का पोषक तत्व पाणी में मिलय ने माटी के जादे उपजऊ बणय दे हे । 

       मालवा- निमाड़ की लोक परंपरा का रूप में यो परब ग्रामीण अंचल में मनायो जाय हे ।  पण अब्बे इको चलन कम होतो जय रयो हे। इको कारण गोबर की मिलणो, टीवी,  मोबाइल आदि को प्रभाव ने पढ़ई-लिखई का कारण सेर में तो संजा मांडनो बंद ज हुय ग्यो हे जिके संरक्षण बचाणो घणो जरुरी हे। इका वास्ते बच्चाहोण के संस्कार ने रीति-रिवाज, लोक परंपरा होण को ज्ञान करानो जरुरी हे नी तो असी परम्परा होण खतम ज हुई जायगी। 

                        स्वलिखित

                   हेमलता शर्मा 'भोली बेन'

                  राजेंद्र नगर, इंदौर मध्यप्रदेश

                  

          

                  

Sunday, September 18, 2022

पागड़ीबंद, घाघरा बंद, पावणापई सम्मेत पधारजो-भोली बेन*

 *नई पीढ़ी को लोक परम्पराओं को सहेजना होगा - डॉ साधना बलवटे*



*मालवी निमाड़ी शोध संस्थान ने मनाया संजा पर्व* 

*पागड़ीबंद, घाघरा बंद, पावणापई सम्मेत पधारजो-भोली बेन* 

इंदौर . संझा पर्व मालवा निमाड़ अंचल का प्रसिद्ध लोक पर्व है जो संजा माता को एक बेटी और सखी के रूप में 16 दिन तक अपने घर में सहेज कर प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है । नवीन पीढ़ी लोक परंपराओं को भूलती जा रही हैं, उन्हें सहेजना होगा । यह विचार मालवी-निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान के संजा गीत कार्यक्रम में निमाड़ी बोली में डॉक्टर साधना बलवटे, वरिष्ठ साहित्यकार ने कही । संस्थान की अध्यक्ष डॉ स्वाति तिवारी ने संजा पर्व की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि गाय का गोबर, गुलदावरी के फूल आदि का उपयोग संजा बनाने में होता है जो वर्षाकाल के पश्चात उपजे कीटाणुओं से घर को सुरक्षित रखते हैं । कोरोनाकाल से तो इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। 



      कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था सचिव हेमलता शर्मा भोली बेन ने मालवी बोली में स्वरचित सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर किया तथा वरिष्ठ साहित्यकार सरला मेहता ने मालवी गणेश वंदना से गजानन महाराज का आह्वान किया। संजा माता की प्रतिस्थापना के पश्चात कार्यक्रम 16 दिनों तक चलने वाले संजा पर्व के मद्देनजर 16 लोगों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई जिनमें विशिष्ट अतिथि विनीता तिवारी नेे काजल टीकी लो बई, काजल टीकी लई ने म्हारी संजा बई ने दो गीत सुनाया । डॉ शशि निगम,और नित्येंद्र आचार्य ने जहां स्वरचित संजा गीतों की मनोहारी प्रस्तुति दी, वही निरुपमा त्रिवेदी, निरुपमा नागर, राधिका चतुर्वेदी, निर्मला कानूनगो, अर्चना कानूनगो, अर्चना मंडलोई, मणिमाला शर्मा, शर्मिला दुबे डॉ क्षमा शर्मा ने लोक प्रचलित संजा गीतों को प्रस्तुत किया । कार्यक्रम का संचालन संस्था सचिव भोली बेन ने मालवी में किया । काार्यक्र में मालवी आमंत्रण पत्र चर्चा का विषय रहा


                   *मालवी न्योतो*

मालवा में केवात हे के तेड़ो पावणा पई सम्मेत देणो पड़े तो तम सब भी आव ने अपणा साते अपणा घर का मनख, पामणा, अड़ोसी-पड़ोसी सबके तेड़ी लाजो । मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान में काल दुफेरे को ३ बजे को सबके न्योतो हे । पागडीबंद ने घाघरा बंद झटक पावणा पई सम्मेत पधारजो साब । देखजो कोई छूटी नी जाय हो...तमारी आपणी भोली बेन 😄🙏🏻💐💐

              आभार भी डॉ शशि निगम ने मालवी बोली में ही व्यक्त किया। 

               🙏आभार 🙏

         सबका पेलाँ तो हूँ 'मालवी निमाड़ी शोध संस्थान, इन्दौर (मध्य प्रदेश) की घणी-घणी आभारी हूँ के लोक संस्कृति संरक्षण जेसा पावन कारज सारू आप संजा परब के घणी सरधा भक्ति का साँते मनई रिया हो।

     आज 'संजा गीत' का शानदार कार्यक्रम की अध्यक्षता करवा वाळा मानेता बेन सा डॉक्टर साधना बलवटेजी, संस्थापक अध्यक्ष मानेता डॉक्टर स्वाति तिवारीजी,खास पामणा मानेता बेन सा विनीता तिवारीजी, सचिव अने सूत्रधार सबकी प्यारी भोली बेन सा को घणो घणो आभार मानूँ हूँ।

    अने सबती घणी आभारी हूँ 16 दन का प्रतीक 16 आदरणीय बेन होण की जिनने संजाबई का भाव भर् या पारंपरिक अने स्वरचित गीत गई ने कार्यक्रम के सफल बणायो। म्हारे पूरो भरोसो हे जदे बी हम आपके याद कराँगा, आप अवश्य पधारोगा।

घणो घणो धन्यवाद अने हिरदा ती आभार।

     


संपूर्ण आयोजन मालवी और निमाड़ी बोली में संपन्न हुआ। सरस एवं शुद्ध देशी कार्यक्रम के दौरान मालवी कवि भीम सिंह पंवार, मालवी साहित्यकार अरविन्द जोशी,  निमाड़ी साहित्यकार तनुजा शर्मा, बालीवुड अभिनेता राघवेन्द्र तिवारी, विदिशा से डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट महेश हनोतिया,सुधा चौहान एवं अन्य मालवी निमाड़ी प्रेमी उपस्थित रहे और संजा गीतों का आनंद लिया।

         

बेटी दिवस

शीर्षक-बेटी दिवस  बेटी दिवस मनाने वाले कई, कोख में मरवा देते हैं बेटियां । बेटों से बुढ़ापे में ठोकर खाते, आग में झुलसा देते हैं बेटियां ।। ...