Tuesday, May 26, 2020

एक पत्र कोरोना का नाम

एक पत्र कोरोना का नाम 
प्रिय कोरोना,
तु हमारा देस में क्यों आयो हे? 'अतिथि देवो भव' की परंपरा वाला देस के तने धर्म संकट में डाली दियो है । तु तो बिन बुलायो पामणो हे । कई तु नी जाणे कि भारत में बिन बुलाया अतिथि होन को कोई विशेष पूछ-परख नी होय? साते ज थारे यो भी पतो होनो चिए कि यदि मेहमान एक सीमा से जादे टेम तक कां की जगे ठेरी जाए तो लोगोण उके भगावा की योजना बनाने लगे हैं अने उको सम्मान क्षीण हुय जाय है । कई थारा में इत्तो भी स्वाभिमान नी बच्यो है ? दो मैना होने के आया, तू यां ज पड़ियो है निर्लज सरीखो । अब्बे तो चली जा आखिर कदे जायगा ? थारे तो इत्तो भी नी मालम कि अतिथि की भी एक मर्यादा होय है ऊ कदी भी मेजबान को नुक्सान नी करे, पण तने तो हमारा देस में बिन बुलाया मेहमान सरीखो अय के बोम्बाट मचय दी। हमारे नरा देशवासीहुण का प्राण के हरने को निकृष्ट कार्य करियों हे अने नरा लोगोंण के मांदो करी दियो हे । थारा कारण आज सगला लोगोण अपना-अपना घर में कैद हैं । हम थारा से पची गया हां,अब्बे तु चल्यो ज जाजे हो बस चल्यो ज जा ।
राष्ट्रप्रेमी नागरिकहुण
हेमलता शर्मा 'भोली बैन' राजेंद्र नगर, इंदौर, मध्य प्रदेश

गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा

 गाजबीज माता को बरत -मालवी लोक परम्परा अपणो मालवो निमाड़ तीज तेवार की खान हे। यां की जगे केवात हे - बारा दन का बीस तेवार। केणे को मतलब हे कि...