Thursday, February 27, 2020

जलेबी- मालवी मिठई के दवई


                                           जलेबी- मालवी मिठई के दवई


"जलेबी" शब्द वैदिक विज्ञान में सुणी ने थोड़ो-सो अचंभित होनो सुभाविक हे पण असल बात यां है कि जलेबी अपणी मालवी संस्कृति को ऊ हिस्सो है जो दवई का साते-साते भोत ज सुवादिष्ट मिठई भी हे ने भोत गुणकारी भी हे ।  जलैबी इनी बात की मिसाल हे कि उलझनहुण बी मीठी हुय सके हे।  जलेबी में जल तत्व  जादा होणे से इके जलेबी कयो जाय हे । मनक का डील में सत्तर फीसदी पाणी होय हे, इका वास्ते इके खाणे से जल तत्व की कमी पूरी होय  हे ।
   
                  जलेबी खे बिमारी काटने वाली दवई बी बोल्यो‌ जाय हे । गरमागरम जलेबी चामड़ा रोग को जोरदार ईलाज है।
                दुनिया का नब्बे फीसदी लोगोण जलेबी को
संस्कृत ने अंग्रेजी नाम नी जाणे ? कदी-कदी हूं तम बी सोचता जा होगा के आखिर कय के हे ।  संस्कृत में जलैबी के कुण्डलिनी,महाराष्ट्र में जिलबी ने बंगाल में जिलपी केवे हे ।जलेबी को भारतीय नाम जलवल्लिका हे ने अंग्रेजी में जलेबी के स्वीट्मीट (Sweetmeet) अने सिरप फील्ड रिंग केवे हे ।  बयरा हुण अपणा बालहुण से “जलेबी जूड़ो” भी बणय ले हैं। जलेबी अलग-अलग जगे तरे-तरे से बणे हे बंगाल में पनीर की, बिहार में आलू की, उत्तरप्रदेश में आम की, म.प्र. का मालवा छेत्र में खमीर उठय ने जलैबी बणाय हे तो बघेलखण्ड-रीवा, सतना में मावा की जलेबी खाणे को भारी चलन है।ग्रामीण-शहरी दोय छेत्र में दूध-जलेबी को नाश्तो करयो जाय हैं।जलेबी नरी तरे की बणे हे जसे डेढ आंटा, ढाई आंटा ने साढे तीन आंटा की होय है। अंगूर दाना जलेबी, कुल्हड़ जलेबी आदि की बनावट वाली गोल-गोल बणे है।

                                                जलेबी दो शब्दहुण से मिली ने बणे है।    जल + एबी मने यां शरीर में स्थित जल का ऐब (दोष) दूर करे हे। शरीर में आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धि ने ऊर्जा में वृद्धि करी ने  स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत करणे में मदद करे है। जलेबी  खाणे से शरीर का सगला ऐब (रोग दोष ) बली जाय हे ।


                                              अघोरीगण आध्यात्मिक सिद्धि ने कुण्डलिनी जागरण वास्ते सुबे रोज जलेबी खाने की सलाह देवे हे । मैदा, जल, मीठा, तेल ने अग्नि इन पांच चीजां से बणी जलेबी में पंचतत्व को वास होय है । जलेबी खाणे से पंचमुखी महादेव, पंचमुखी हनुमान ने पाॅंच फणवाला शेषनाग की किरपा प्राप्त होय है!


                                               अपणा ऐब (दोष) जलाणे, काटणे वास्ते रोज जलेबी खाणो चिये । वात-पित्त-कफ मने त्रिदोष की शांति वास्ते सुबे खाली पेट दई का साते, वात विकार से बचणे वास्ते दूध में मिलय ने अने कफ से मुक्ति वास्ते गरमागरम चाशनी साते जलेबी खय जाय हे। इसे माथो दुखणो, माईग्रेन, पीलिया, पांडुरोग सरीखी बिमारी बी मिटी जाय है।  जिन लोगोण का पांव मे बिवाई फटने की परेशानी रेती हो, तो  21 दन लगातार जलेबी को सेवन करणे से दूर हुय सके।

                                                    जलेबी को भोत नाम हे। जलवा दिखाणे की इच्छा रखने वाला लोगोण के सदा सुबे  नाश्ता में जलेबी जरूर खानो चिये,  भगवान से जुड़ने  की कामना होय तो जलेबी जरुर खाणो चिये।

                                                                                                                     

                                                                                                                    तमारी अपणी
                                                                                                                        "भोली बेन"
           

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