Wednesday, February 19, 2020

मालवी बोली की मिठास

मालवी बोली भारत के ह्रदय स्थल मध्य प्रदेश के संपूर्ण मालवा क्षेत्र में बोली जाती है । इसके अंतर्गत मुख्य रूप से उज्जैन इंदौर आगर मालवा रतलाम देवास मंदसौर धार राजगढ़ आदि जिले सम्मिलित है। मालवी बोली का अपना इतिहास रहा है । मालवी बोली सरल सहज और मीठी बोली है जो सहज ही हास्य उत्पन्न करती है जैसे "मालवा को मनक सीदो सट रे,बस ओके चा नी पिलाव तो बांको हुई जाय।" एक और उदाहरण देखिए-" बयरा बोली धणी से तमारे  किस (भुट्टे की मालवी डिश) दूं कई ।" इस प्रकार मालवी बोली सुनने में मीठी लगती है और सहज हास्य उत्पन्न करती हैं । राजस्थान की सीमा से लगे जिले जैसे रतलाम आगर नीमच मंदसौर आदि में बोली जाने वाली मालवी बोली में थोड़ा सा राजस्थानी टच आता है। मालवी बोली में गाए गए कबीर के दोहे भजन आदि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी मिठास के कारण प्रसिद्ध है। पग पग रोटी डगडग नीर की पहचान लिए मालवा अंचल मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण भाग होने के साथ ही ह्रदय स्थल भी माना जाता है । यहां की मीठी बोली मालवी अपनी मिठास को समाहित किए हुए संपूर्ण मालवा अंचल में बड़े प्रेम और आदर के साथ बोली जाती है।

                   
                     मालवा की लोक संस्कृति,लोक विधाएं, रीति रिवाज और परंपराएं आज भी अक्षुण्ण बनी हुई है हां यह अवश्य है कि समय के साथ उनमें परिवर्तन अवश्य हुआ है मालवा की लोक परंपरा अनूठी है। मालव प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध मालवा मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग के रूप में जाना जाता है और मालवा की लोक परंपराएं धर्म पर आधारित हैं साथ ही यहां की सामाजिक परंपराएं एक ऐसा दर्पण पटेल प्रतीत होती है जिसमें इस क्षेत्र की संस्कृति का अनूठा चित्र देखा जा सकता है। मालवा के बारे में दो पंक्तियां प्रचलित है-। " इत चंबल उत बेतवा मालव सीम सुजान, दक्षिण दिसि है नर्मदा, यह पूरी पहचान ।'
                      निष्कर्ष रूप में कहां जा सकता है कि संपूर्ण मालवा क्षेत्र मीठी बोली की मिठास एवं लोक परंपराओं से भरा हुआ है ।

2 comments:

  1. घणी वदई ने सुबकामना.... भोली..बेन

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  2. घणो घणो आभार सजग दादा 😄🙏💐💐

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