Tuesday, February 2, 2021

बजट का रापटरोल्यां-मालवी व्यंग्य

 *बजट का रापटरोल्यां* - मालवी व्यंग्य



      आज का सगला अखबार बजट की खबरां होण से ज भरिया पड़िया हे, अने सगला न्यूज़ चैनल भी बजट की ज समीक्षा दिखई रया हे । असो लागी रियो जने सरकार रूपी बऊ ने बजट रुपी डिश बणई अने  विपक्ष रुपी सासू को काम खाली मीन-मेख निकालणे को ज हे। 

      वसे तो हरबार बजट का इज रापटरोल्यां रेवे हे, अने मध्यवर्गीय लोगोण रोता ज रे कि कई छूट नी मिली । सरकारी नौकरी वाला लोगोण इनी आस में था कि 'कर स्लेब' में थोड़ो भोत बदलाव हुई जाय तो टैक्स बचय लां पण असो  हुवो नी । हां या जरुर राहत की बात री के कोरोना का कारण कोई अतिरिक्त टैक्स नी लाग्यो पण थोड़ी भोत छूट मिली जाती तो हऊ रेतो । 75 साल का डोकरा-डोकरी होण के रिटर्न भरने से छूट दी जो कई काम की नी क्योंकि अणी जमाना में नकली चीजां खावा वालो मनख 75 साल तक जीवे ज कां हे, दो-चार बाबा रामदेव को योग करी ने वां तक पोची जाय तो अलग बात हे । 

       सरकार को केणो हे के इनी बजट से देश आत्मनिर्भर बणेगो क्योंकि अपना देश में बढ़ाने वाली चीज को आयात मैंगो करियो हे पण इसे मेहंगाई भी तो बढ़ेगी आने यो खामियाजो मध्यम वर्ग के ज भरनो पड़ेगो। 

       या बात भी जगजाहिर हुयगी के महिला होण से खाली धणी ज नी सरकार भी डरे हे । जदे ज तो सुन्नो-चांदी  सस्तो करी दियो क्योंकि-

"बयरा होण रे खुश ने,

धणी के बेलन से छूट ।"

यो तो होणोज थो आखिर बजट पेश करने वाली अपनी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बेनसाब भी तो एक बयरा ज हे तो उनने बयरा होण की सुध लय ली । 

        सबसे जादे ध्यान स्वास्थ क्षेत्र पे दियो हे पिछली बार की तुलना में 137% जादे राशि दी हे मतलब कोरोना राक्षस को भय साफ-साफ दिखी रयो हे । आग लगे इनी कोरोना के, सगला काम ठप्प करइ दिया हे । स्वास्थ्य क्षेत्र का साते ज सरकार ने ऑटोमोबाइल अने टेक्सटाइल पे फोकस राख्यो हे ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बणे । 

         अपणा शामू काका ने तो  जद से मीड-डे-मिल को बजट बढ़ने की खबर सुणी हे, सोच में पड्या हे कि यो कई होय। गांव का एक हुसियार मान्या जाणे वाला छोरा से पूछ्यो तो उने व्याख्या करी के बतायो- " अरे म्हारा काकाजी तमारे नी मालम ! जो भोजन एक मील पोचणे के बजाय अधबीच में रय जाय उके ज मीड-डे-मील बोले हे । असो कई ने हंसी के चलतो बण्यो ने शामू काका खींसा निपोरता रय ग्या । 

       म्हारे तो बजट में एक ज जानकारी अच्छी लगी कि भारत में 10 में से 4 महिला होण ने ज इंटरनेट चलायो । लोगोण यूंज लुगायां के बदनाम करे के दनभर मुबाइल पे व्हाटस्अप फेसबुक चलाया करें ने रोटी बली जाय , घर में लड़ई हुई जाय पण सरकार ने इनी बात के झुठलय दियो तो हम सब बयरा होण तो सरकार की भोत आभारी रांगा के अपणा फेवर की बात करी रिया । बाकी सब तो चलतो रेगो । हर साल बजट भी आतो रेगो । कोई तारीफ का पुल बांधेगो अने कोई बुरई करेगो। आखरी में जइ ने सब छानामाना हुई जायगा । पण हर साल ई बजट का रापट रोल्यां असाज चालता रेगा। जे राम जी की।

         स्वरचित

सुश्री हेमलता शर्मा

 'भोली बेन' इंदौर

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