शीर्षक- आयो बसंत
आयो बसंत ने खिली गयो मन ।
छय गया सब जगे पीत सुमन ।।
पुलकित प्रकृति, करी रय ।
हृदय से बसंत को अभिनंदन ।।
कोयल कूकी री डालीहुण पे ।
नाची रयो मयूरो मन ।।
धीमी बयार चाली री ।
मदमस्त हुय गयो पवन।।
तितलीहुण इठलाती उड़ी रई ।
भंवरा हुण करि रया गुंजन ।।
स्वच्छ हुई गयो नील गगन ।
पंछी कलरव से महक्यो उपवन ।।
बौर झाड़ पे अई गया ।
पीला सरसों खिल्या चमन ।।
पतझड़ गयो ने आयो बसंत ।
सबके मिल्यो नवो जीवन ।।
मन अनुराग से भरी गया ।
करी रिया अधर निवेदन ।।
हिली-मिली ने रो सगला ।
हुई जाय यो सफल जनम ।।
पुलकित प्रकृति, करी रय ।
ह्रदय से बसंत को अभिनंदन।।
सुश्री हेमलता शर्मा 'भोलीबैन'