Monday, November 2, 2020

मालवी कविता-आयो बसंत

 

शीर्षक- आयो बसंत    

         


 

आयो बसंत ने खिली गयो मन ।

छय गया सब जगे पीत सुमन ।।

पुलकित  प्रकृति, करी रय । 

हृदय से बसंत को अभिनंदन ।।

               

कोयल कूकी री डालीहुण पे ।

नाची रयो मयूरो मन ।।

धीमी बयार चाली री । 

मदमस्त हुय गयो पवन।।

                

तितलीहुण इठलाती उड़ी रई ।

भंवरा हुण करि रया गुंजन ।।

स्वच्छ हुई गयो नील गगन ।

पंछी कलरव से महक्यो उपवन ।।

                

बौर झाड़ पे अई गया ।

पीला सरसों खिल्या चमन ।।

पतझड़ गयो ने आयो बसंत ।

सबके मिल्यो नवो जीवन ।।

               

मन अनुराग से भरी गया ।

करी रिया अधर निवेदन ।।

हिली-मिली ने रो सगला ।

हुई जाय यो सफल जनम ।।


पुलकित प्रकृति, करी रय । 

ह्रदय से बसंत को अभिनंदन।।

सुश्री हेमलता शर्मा 'भोलीबैन'

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