शीर्षक- *मनख के कां भी चेन नी*
कोविड-19 आवा का पेला भी भोत
झमेला था इनी जिंदगी में, पण इंसान तो कदी संतुष्ट होय ज नी । जदे कोविड-19 चीन का वुहान में आयो तो लोग थोड़ा चौंक्या फिर अपणी दिनचर्या में मस्त हुई गया । उनके लग्यो के चिंता करें तो चीन अपणे कई ? फिर धीरे-धीरे अन्य देशहुण का साते ज भारत में भी कोविड-19 ने दस्तक दय दी तो लोगोण थोड़ा सतर्क हुवा अने फिर जसे ज लाकडाउन हुय के घर में कैद हुआ तो उनके पुरानी जिनगी भोत अच्छी लगने लगी । शिकायत करने की आदत तो हमेशा बनी ज रेवे हे। सो लॉकडाउन में भी ढेरों शिकायत होण जसे- घर में कसतर रा अतरा दन ? करोना को वैक्सीन कदे बनेगो? लॉकडाउन असो नी होनो चिए थो ? कोई आदमी इत्ता दन तक घर में कैद रय सके है कई ? आदि-आदि शिकायत होण करी गई अने फिर "भारत तीसरा चरण में नी पोची जाय" की दहशत ने लोगोण खे चैन से जीने नी दियो । दो तीन बार टीवी पे 8:00 बजे "मित्रों" भी सांस रोकी ने लोगोण ने सुन्यो फिर लोगोण *वर्क फ्रॉम होम* का आदी हुई ग्या तो सरकार ने यो कय के कि हमने तो लोगोण के चेतई (अवेयर करी) दियो है, लाकडाउन थोड़ी-घणी शर्तहुण का साते खोली दियो । फिर लोगोण कुलबुलाया-"अरे अभी तो आंकड़ो इत्तो बढ़ी रयो हे, लाकडाउन नी खोलनो चिए थो ।" लाकडाउन का विरोधी लोगोण ज अब उका हिमायती बनी गया था । उनके चैन नी थो । धीरे-धीरे लोगोण घर से बायर निकलने लग्या । शुरुआत का दन में तो रोज दन में दो-तीन बार न्हानो, कपड़ा धोनो, सेनेटाइजर से बार-बार हाथ धोनो, मास्क लगानो सरीखा उपक्रम करता रिया पण फिर लोगोण लापरवाह सा होने लग्या और फिर भारत में कोरोना संक्रमितहुण को ग्राफ तेजी से बढ़ने लग्यो तो सरकार ने शनिवारे-दितवारे लाक डाउन रखने सरीखा रस्ता निकाल्या । उन लोगोण का साते बड़ी समस्या हुई गी जो बापड़ा एकला होने की वजे से अपणा सारा काम छुट्टि होण में ज निपटाता था । अब्बे उन लोगोण के अपणा सगला काम वर्किंग डे में ज करने में भारी परेशानी को सामनो करनो पड़ रियो है। गाड़ी होण की सर्विसिंग भी वर्किंग डे में ज करानी पड़ी री है, क्योंकि हॉलीडेज में तो सर्विस सेंटर बंद है अने 'पब्लिक ट्रांसपोर्ट' बंद होणे से कामकाजी लोगोण वास्ते लाकडाउन परेशानी को सबब बनी ग्यो है तो पाछो केनो पड़े कि मनख खे कां बी चैन नी । रोज मेहनत करी ने रोटी कमाने वाला लोगोण का सामने तो पेट भरने को संकट हे ज सई । अभी भी घर में काम करने वाली बाई होण अने नौकर होण के लोगोण अपणा घर में आने नी दय रिया हे अने उनका वास्ते अपणा परिवार को पेट पालनो मुश्किल हुई रियो है, ठेलो चलाने वाला, मजदूर कलाकार आदि सब ज लोगोण का सामने रोजी-रोटी को संकट उत्पन्न हुई रियो हे, वी लोगोण काम की तलाश में मारा-मारा फिरी रिया हे अने फिर उनके भी तो कोरोना से लड़नो ज है । हाल में ज दिनदहाड़े चौरी-चकारी की घटना होण भी होणे लगी हे जो इनी बात को प्रमाण है कि लाकडाउन ने पेट की आग के इनी कदर बढ़य दियो हे कि लोगोण चोरी करने पे उतारू हुई ग्या हे । शिकायतां वी भी करी रिया हे, पण उनकी शिकायत होण अने अन्य लोगोंण की शिकायत होण में वाकई भोत अंतर हे । हम यो कई के अपणा आप के संतुष्ट करी ला हां कि मनख के कां भी चेन नी है पण चेन आए भी तो कसे? इनी प्रश्न को उत्तर तो भविष्य का गर्भ में छिप्यो है । अब्बे देखनो यो है कि लोगोण के चेन कसे आयगो अने सरकार इका वास्ते कई प्रयास करेंगी ???
सुश्री हेमलता शर्मा, भोली बेन, आगर मालवा
कोविड-19 आवा का पेला भी भोत
झमेला था इनी जिंदगी में, पण इंसान तो कदी संतुष्ट होय ज नी । जदे कोविड-19 चीन का वुहान में आयो तो लोग थोड़ा चौंक्या फिर अपणी दिनचर्या में मस्त हुई गया । उनके लग्यो के चिंता करें तो चीन अपणे कई ? फिर धीरे-धीरे अन्य देशहुण का साते ज भारत में भी कोविड-19 ने दस्तक दय दी तो लोगोण थोड़ा सतर्क हुवा अने फिर जसे ज लाकडाउन हुय के घर में कैद हुआ तो उनके पुरानी जिनगी भोत अच्छी लगने लगी । शिकायत करने की आदत तो हमेशा बनी ज रेवे हे। सो लॉकडाउन में भी ढेरों शिकायत होण जसे- घर में कसतर रा अतरा दन ? करोना को वैक्सीन कदे बनेगो? लॉकडाउन असो नी होनो चिए थो ? कोई आदमी इत्ता दन तक घर में कैद रय सके है कई ? आदि-आदि शिकायत होण करी गई अने फिर "भारत तीसरा चरण में नी पोची जाय" की दहशत ने लोगोण खे चैन से जीने नी दियो । दो तीन बार टीवी पे 8:00 बजे "मित्रों" भी सांस रोकी ने लोगोण ने सुन्यो फिर लोगोण *वर्क फ्रॉम होम* का आदी हुई ग्या तो सरकार ने यो कय के कि हमने तो लोगोण के चेतई (अवेयर करी) दियो है, लाकडाउन थोड़ी-घणी शर्तहुण का साते खोली दियो । फिर लोगोण कुलबुलाया-"अरे अभी तो आंकड़ो इत्तो बढ़ी रयो हे, लाकडाउन नी खोलनो चिए थो ।" लाकडाउन का विरोधी लोगोण ज अब उका हिमायती बनी गया था । उनके चैन नी थो । धीरे-धीरे लोगोण घर से बायर निकलने लग्या । शुरुआत का दन में तो रोज दन में दो-तीन बार न्हानो, कपड़ा धोनो, सेनेटाइजर से बार-बार हाथ धोनो, मास्क लगानो सरीखा उपक्रम करता रिया पण फिर लोगोण लापरवाह सा होने लग्या और फिर भारत में कोरोना संक्रमितहुण को ग्राफ तेजी से बढ़ने लग्यो तो सरकार ने शनिवारे-दितवारे लाक डाउन रखने सरीखा रस्ता निकाल्या । उन लोगोण का साते बड़ी समस्या हुई गी जो बापड़ा एकला होने की वजे से अपणा सारा काम छुट्टि होण में ज निपटाता था । अब्बे उन लोगोण के अपणा सगला काम वर्किंग डे में ज करने में भारी परेशानी को सामनो करनो पड़ रियो है। गाड़ी होण की सर्विसिंग भी वर्किंग डे में ज करानी पड़ी री है, क्योंकि हॉलीडेज में तो सर्विस सेंटर बंद है अने 'पब्लिक ट्रांसपोर्ट' बंद होणे से कामकाजी लोगोण वास्ते लाकडाउन परेशानी को सबब बनी ग्यो है तो पाछो केनो पड़े कि मनख खे कां बी चैन नी । रोज मेहनत करी ने रोटी कमाने वाला लोगोण का सामने तो पेट भरने को संकट हे ज सई । अभी भी घर में काम करने वाली बाई होण अने नौकर होण के लोगोण अपणा घर में आने नी दय रिया हे अने उनका वास्ते अपणा परिवार को पेट पालनो मुश्किल हुई रियो है, ठेलो चलाने वाला, मजदूर कलाकार आदि सब ज लोगोण का सामने रोजी-रोटी को संकट उत्पन्न हुई रियो हे, वी लोगोण काम की तलाश में मारा-मारा फिरी रिया हे अने फिर उनके भी तो कोरोना से लड़नो ज है । हाल में ज दिनदहाड़े चौरी-चकारी की घटना होण भी होणे लगी हे जो इनी बात को प्रमाण है कि लाकडाउन ने पेट की आग के इनी कदर बढ़य दियो हे कि लोगोण चोरी करने पे उतारू हुई ग्या हे । शिकायतां वी भी करी रिया हे, पण उनकी शिकायत होण अने अन्य लोगोंण की शिकायत होण में वाकई भोत अंतर हे । हम यो कई के अपणा आप के संतुष्ट करी ला हां कि मनख के कां भी चेन नी है पण चेन आए भी तो कसे? इनी प्रश्न को उत्तर तो भविष्य का गर्भ में छिप्यो है । अब्बे देखनो यो है कि लोगोण के चेन कसे आयगो अने सरकार इका वास्ते कई प्रयास करेंगी ???
सुश्री हेमलता शर्मा, भोली बेन, आगर मालवा